नई दिल्ली। प्रसिद्ध साहित्यकार एवं आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय प्राचीन परंपरा आधुनिकता से कैसे जुड़ती है, यह परंपरा कितनी बड़ी है और परंपरा सार्थक कैसे होती है इसके सूत्र आचार्य द्विवेदी अपने निबंधों व साहित्य में देते हैं।
डॉ त्रिपाठी आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की चौथी डॉ वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर बुधवार को साहित्य अकादमी के सभागार में आयोजित एक समारोह में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी शोध सम्मान वेबसाइट का लोकार्पण करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पूर्व कांग्रेस महासचिव हिंदी जनार्दन द्विवेदी, प्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो अनिल राय, जामिया मिलिया इस्लामिया के मानविकी और भाषा विभाग के प्रोफेसर नीरज कुमार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर वेद प्रकाश समेत बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। इस अवसर पर स्मृति चिन्ह का भी अनावरण किया गया।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ अपर्णा द्विवेदी ने बताया कि आचार्य जी के रचनाकर्म पर तमाम विश्वविद्यालयों में लंबे समय से शोध कार्य चल रहे हैं। ट्रस्ट ने आचार्य जी के लेखन पर शोध करने वालों को प्रोत्साहित और सम्मानित करने के लिए एक व्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है। शोध सम्मान की समग्र जानकारी के लिए एक खास वेबसाइट तैयार की गई है। इस सम्मान का नाम "आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी शोध सम्मान" है। इस सम्मान के लिए पात्रता क्या है या कैसे आवेदन करें यह समूची जानकारी वेबसाइट https://hpdwiveditrust.in/award/ पर दी गई है।
जनार्दन द्विवेदी ने आचार्य जी के लेखन पर चर्चा करते हुए कहा कि जब हम चलते है आगे पैर बढ़ते है तो वह आधुनिकता है लेकिन जो हमारा पैर जमीन पर रखा रहता है वह परंपरा है। अगर हम दोनों पैर जमीन पर रखे रहेंगे तो जड़ हो जाएंगे। अगर हम दोनों पैर उठा लेंगे तो मुंह के बल गिर पड़ेंगे। तो हमे जड़ता और उद्दंडता को हटाकर बढ़ना है। इस अवसर पर सुरेंद्र शर्मा ने शोध सम्मान के तहत 51 हजार रुपए की राशि प्रतिवर्ष देने की घोषणा की। प्रो अनिल राय ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी का नया पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है इसमें आचार्य द्विवेदी के और अधिक रचना कर्म को शामिल किया जा रहा है। प्रो. नीरज कुमार ने कहा कि कि वे जामिया मिलिया इस्लामिया के हिंदी विभाग में आचार्य जी के रचनाकर्म को लेकर सृजन पीठ के गठन का प्रयास करेंगे। प्रो. वेद प्रकाश ने भी अपने विचार रखे।