‘रंगमंच प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा का एक अभिन्न भाग है जिसके चिर पुरातन होते हुए भी नित नूतनता के साथ कलाकारों द्वारा समाज के समक्ष अनेक विषयों के माध्यम से सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है।' ये विचार दिल्ली विश्वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय(सांध्य) की नेपथ्य सोसायटी द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम ‘उमंग-2025’ के उद्घाटन के अवसर पर प्रसिद्ध रंगकर्मी और शिक्षाविद निशा त्रिवेदी ने कहे। ‘भारतबोध’ थीम पर आधारित इस आयोजन में निधि त्रिवेदी ने यह भी कहा कि रंगमंच हमें अवसर देता है कि हम साधारणीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से समाज से जुड़ें और अपने संदेश को आगे संप्रेषित करें। वर्तमान समय में रंगमंच की बढ़ती हुई प्रासंगिकता को भी उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाया।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो रवीन्द्र कुमार गुप्ता ने रंगमंच के महत्व को बताते हुए समाज में उसकी आवश्कता और भूमिका के बारे में बताया। उमंग 25 की थीम ‘भारत बोध’ भारत की सांस्कृतिक विरासत को स्मरण कराती है और भविष्य के लिए नया पथ भी दिखाती है। उन्होंने विभिन्न महाविद्यालयों से आए छात्रों को भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दी।
नेपथ्य की संयोजक डॉ. मीनाक्षी यादव ने रंगमंच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार की हुई प्रस्तुतियों के बारे में बताया। रंगमंच सामाजिक मुद्दों को तलाशने का एक उल्लेखनीय मंच रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस आयोजन ने परंपरा और आधुनिकता के बीच की खाई को सफलतापूर्वक पाट दिया है।
उमंग 25 में नुक्कड़ नाटक, एकल अभिनय, मंच प्रस्तुति और एड-मेड (विज्ञापन) संबंधित विभिन्न प्रस्तुतियां हुईं, जिसमें 30 से भी अधिक महाविद्यालयों के छात्रों द्वारा ऊर्जा और उत्साह के साथ प्रतिभागिता की गई। प्रत्येक प्रस्तुति में भारत झलकता था।
उत्सव को और अधिक प्रेरणादायी बनाने और मार्गदर्शन देने में कार्यक्रम में आए विभिन्न कलाकारों, शिक्षाविदों संकाय सदस्यों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। श्री हिम्मत नेगी, सुश्री रिंकल शर्मा, श्री विनोद, सुश्री प्राची बिष्, श्री रवनीत कौर,प्रो. शुभेंदु रंजन राज, डॉ. देवदत्त भारती, श्री जय गुप्ता, डॉ. सोनिका नागपाल, श्री विनोद और सुश्री रुचिता माचल निर्णायक थे। कार्यक्रम की आयोजन समिति सदस्यों आशीष सिंह (अध्यक्ष), अनमोल दुबे (उपाध्यक्ष), कुणाल सिंह (सचिव), रचित माहेश्वरी, अर्जुन राठी, प्रदीप कुमार और कमल कुमार के नेतृत्व में आयोजन समिति ने उत्सव सफल रूप से पूर्ण कराया, जिसमें प्रतिभागियों को भारत की सांस्कृतिक चेतना से जुड़ने और उसे फिर से परिभाषित करने के लिए रंगमंच की शक्ति से प्रेरणा मिली। उमंग '25 ने सामाजिक जागरूकता, शिक्षा और कलात्मक अभिव्यक्ति के साधन के रूप में नाटक की भूमिका को सफलतापूर्वक मजबूत किया।
Very nice event and teachers
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