नागदा(निप्र) -भारत सैकड़ो वर्षो तक गुलाम रहा, जिसके कारण हमारी संस्कृति व भाषा दोनों ही विकृत हुई। राष्ट्रीय एकता भी खण्डित हुई। परिणाम स्वरूप भाषा, साहित्य, कला, शिल्प और परम्परा से लेकर विज्ञान, मूल्य, शिक्षा और दर्शन सब वास्तविकता से परे हो गये। भारतीय चिन्तन धारा में संस्कृति की संकल्पना अत्यन्त व्यापक रही है। आज शुद्ध हिन्दी को समझाना कठिन हो गया है। कारण प्रारम्भिक ज्ञान अंग्रेजी में मिलता है। जनता का मोह अंग्रेजी के प्रति है। ऐसे में हिन्दी आमजनों ने उपेक्षा की शिकार हो गई। विधि के क्षेत्र में हिन्दी क्लिष्ट है। यदि ऐसे में देश का प्रशासन हिन्दी के माध्यम से चलने लगे तो आम जनता सुखी होगी। ये उद्गार हिन्दी प्रचार सेवा समिति द्वारा आयोजित साहित्यिक अनुष्ठान राष्ट्रीय स्वाभिमान यज्ञ समारोह के समापन अवसर पर अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) श्री आशुतोष गोस्वामी ने सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर उ. मा. विद्यालय के विशाल सुसज्जित सभागृह में रखे।
आगे जानकारी देते हुए समिति अध्यक्ष डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने बताया कि समारोह में अतिथि वक्ता डॉ. प्रकाश उपाध्याय ‘क्षितिज‘(नेत्र रोग विशेषज्ञ, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी,जावरा) ने कहा कि हिन्दी विज्ञान सम्मत भाषा है। हिन्दी निरन्तर नित-नूतन, नित-नवीन रूप ग्रहण करती हुई चली आ रही है। आज के वैज्ञानिक और कम्प्यूटर के युग में हिन्दी ने अपनी वर्णमाला व्याकरणीय ढांचा संस्कृत से ग्रहण किया जो कम्प्यूटर के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा है। हिन्दी विश्व पटल पर सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरे नम्बर की भाषा है। इसकी लिपि पूरी तरह वैज्ञानिक है। जिससे हिन्दी व राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी।
इसी क्रम में अतिथि वक्ता श्री दयाराम धाकड़ खाचरौद ने कहा कि हिन्दी भाषा ही देश की अखण्डता, समृद्धता को शब्द रूपी मोतियों में पिरोकर आकर्षक ढंग से व्यक्त करने में सहायक सिद्ध होती है। विश्व पटल पर हिन्दी अपना परचम लहरा चुकी है। प्रधानमंत्री मोदीजी के अनुरूप एक नई सोच, नई उमंग-सबका साथ, सबका विकास की प्रेरणा से जीवन जीने पर भारत विश्व का शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा। साथ ही जैविक खेती के लाभो का वर्णन करते हुए हरित क्रान्ति का सही मर्म समझाया जिसके फलस्वरूप गोवंश भी सुरक्षित हो जावेगा।
प्रेस क्लब व अध्यक्ष दीपक चौहान ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आज सभी पालक अपने बच्चो को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाने में गर्व महसूस करते है। लेकिन स्थिति ऐसी बनती है कि बालक न हिन्दी में पारंगत होता है, न ही अंग्रेजी में। न लेखन शुद्ध है न बोली। मात्राओं का भी ठीक से ज्ञान नहीं है। हमारी हिन्दी भाषा तो अपने साहित्य सृजन से भरपूर है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध है। इसलिए हिन्दी को जीवन में अपनाओं।
प्राचार्य प्रमोद जी गुंजाल ने सरस्वती शिशु मंदिर की महत्ता दर्शाते हुए कहा कि भारत में 35000 विद्यालय है। लाखो लाख विद्यार्थी अध्ययनरत है। संस्कृत, हिन्दी व अंग्रेजी तीनो ही भाषाओं का ज्ञान विद्यार्थियों को दिया जाता है। संस्कृति व नैतिक शिक्षा की रक्षा ही विद्यालय का प्रमुख ध्येय है जो राष्ट्र को देश भक्त, सच्चे नागरिक दे सके। साथ ही कई प्रमाणिक जानकारी दी।
रतलाम से पधारी सारस्वत अतिथि श्रीमती इन्दुसिन्हा ‘इन्दु‘ ने विद्यालयीन छात्राओं को पिता की परी कविता के माध्यम से अपने सतीत्व व घर की मर्यादा कैसे सुरक्षित रखे ? जानकारी देते हुए वीरांगना, विदुषी बन अपने कुल की लाज को कलंकित न होने दे। उन्हें संकल्प दिलाया। इसी क्रम में सुरेश माथुर शाजापुर व श्रीमती सीमा सारस्वत ने भी अपने विचार रखे।
राष्ट्रीय स्वाभिमान यज्ञ प्रातःकालीन वेला में 7 बजे से स्वस्तियाग यज्ञ अग्निहोत्र देव पूजा से हुआ। पश्चात् सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के सभागृह में द्वितीय चरण राष्ट्रीय स्वाभिमान यज्ञ समारोह का गायत्री मंत्री का सस्वर तीन बार पाठ कर मन की एकाग्रता व वाणी की पवित्रता करा समारोह का श्रीगणेश किया। समिति संरक्षक हनुमानसिंह शेखावत द्वारा समिति ध्वज को अतिथियों द्वारा सदन में रोपित करवा समारोह को गति प्रदान की। ध्वज वन्दना की सरस प्रस्तुति सुन्दरलाल उपाध्याय कोकिल ने दी। पश्चात् अतिथियों द्वारा सरस्वती जी व भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन किया गया। सरस्वती वंदना कक्षा 12वीं विज्ञान की छात्रा रविना पंवार व कोमल परिहार ने की। अतिथि परिचय डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने करवाया। नीरज सोनी पत्रकार ने समिति का वार्षिक ब्यौरा का वाचन किया। स्वागत गीत की प्रस्तुति सुन्दरलाल जोशी सूरज ने की।
समारोह में एसडीएम आशुतोष गोस्वामी, बाबूलाल राणगा(पाडल्या झारडा), सुरेश माथुर शाजापुर, श्रीमती इन्दु सिन्हा‘इन्दु‘ रतलाम व सीमा सारस्वत नागदा का शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह अभिनन्दन पत्र व कलम, साहित्य भेंट कर नागरिक अभिनंदन किया गया। समारोह में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी परीक्षा के विद्या विनोद, विद्या रत्न व विद्या विशारद के 35 छात्रों को पुरूस्कृत किया गया। विद्या विनोद की परीक्षा में संजना पोरवाल, विद्या रत्न में सुश्री पदमा गोथरवाल व विद्या विशारद में मुकुन्द मेहता ने प्रथम स्थान आने पर विशेष पुरूस्कार से सम्मानित किया।
समिति द्वारा मंचासीन सभी अतिथियों को शॉल, स्मृति चिन्ह व कलम भेंट कर उनका बहुमान किया गया। समारोह में डॉ. अजय वाक्तरिया, गणेश कांकर खाचरौद, चन्द्रसिंह चुण्डावत रतलाम, अमित पावेचा, यू. एन. खान जावरा, ओमप्रकाश तिवारी(लाला) पुलिस अधिकारी का विशेष सम्मान स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।
अतिथियों का स्वागत हनुमानसिंह शेखावत, राजेन्द्र कांठेड़, प्रभु चौधरी महिदपुर, कैलाश खनार, सुन्दरलाल उपाध्याय, रामचन्द्र पांचाल, सुरेश उपाध्याय, विश्वबन्ध शर्मा, सुन्दरलाल जोशी, रमेश जैन मुनिमजी, नीरज सोनी, ओमप्रकाश कड़लुवा, कान्तिभाई पटेल, अक्षय रावल, अजय रघुवंशी, लोकेश परिहार, श्रीमती सविता शर्मा, जयश्री पांचाल, नागेश्वरी पाल व शिवानी शर्मा, तुलसी सोनी, नीतुकंवर चुण्डावत, वंशीका परिहार, नमिता चौहान, प्राची गौतम आदि ने किया।
समारोह का काव्यमयी सफल संचालन डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने किया। अध्यक्षीय उदबोधन में ठा. युवराजसिंहजी ने हस्ताक्षर व पत्राचार हिन्दी में करने का वचन लिया। आभार राजेन्द्र कांठेड़ ने माना। शान्तिपाठ, स्वल्पाहार के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।
दिनांक : 23/12/22
डॉ.पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी