हिंदी भवन, दिल्ली में साहित्य प्रेमी मंडल की स्थापना के चालीस वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर भव्य स्वर गंगा कवि सम्मेलन तथा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री, भारत सरकार हर्ष मल्होत्रा जी द्वारा बलराम श्रीवास्तव को किया गया प्रदान किया गया। यह सम्मान मंडल के संस्थापक कविवर बृज शुक्ल घायल जी की स्मृति में प्रदान किया जाता है। इस अवसर पर कविवर डॉ हरिओम पंवार जी को सहित्य भारती सम्मान, गीतकार विष्णु सक्सेना को काव्य किशोर सम्मान और पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे को अल्हड़ बीकानेरी हास्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मानित किए जाने वाले प्रत्येक कवि को इक्यावन हजार रुपये सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किए गए।केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और इस दर्पण को सजाने और संवारने के लिए मैं साहित्य प्रेमी मंडल को साधुवाद देता हूँ। इस अवसर पर साहित्य प्रेमी मंडल के उपाध्यक्ष एवं विश्व रिकॉर्ड होल्डर आर्टिस्ट राजेश कुमार की पुस्तक केदार से कैलाश तक तथा पत्रिका विनायक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर डॉ कमलेश मणि चौधरी जी की पुस्तक सम्मासती का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली के विधानसभा अध्यक्ष विजेंदर गुप्ता जी द्वारा की गई। उन्होंने साहित्य प्रेमी मंडल की निरंतर सेवाओं को साहित्य और समाज के लिए एक उपलब्धि बताया। इस अवसर पर रोहतास नगर विधायक जितेन्द्र महाजन और संस्था के सचिव पंकज शर्मा ने समारोह को गरिमा प्रदान की। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ प्रवीण शुक्ल के संचालन में पूनम वर्मा, रसिक गुप्ता और मुकेश शर्मा ने भी काव्य पाठ किया। संस्था के महासचिव डॉ प्रवीण शुक्ल ने संस्था की चालीस वर्ष की यात्रा और उसकी गतिविधियों पर प्रकाश डाला। संस्था के कोषाध्यक्ष निर्दोष शर्मा ने सभी का धन्यवाद किया। संस्था अध्यक्ष सुबेसिंह पराशर, सचिव आदेश शर्मा, सचिव पी के आजाद ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। राजेश कुमार ने अपनी पुस्तक केदार से कैलाश तक के सफर की बारे में चर्चा की। संस्था के चालीस वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर डॉ कीर्ति काले ने अपनी संस्था अंतरराष्ट्रीय सकारात्मक साहित्य मंच की ओर से डॉ हरिओम पंवार,डॉ विष्णु सक्सैना, विधायक जितेन्द्र महाजन के साथ डॉ प्रवीण शुक्ल का सम्मान किया। इस अवसर पर अनेक कवियों, शिक्षाविदों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रही। सुरुचि सहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।