दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषाओं में अध्ययन अध्यापन का संकल्प है जिसे हम सभी को मिलकर पूरा करना है। मातृभाषा में पढ़ना और सीखना अधिक बोधगम्य है जो हमारी क्षमताओं को और अधिक पढ़ाएगा। हिंदू कालेज में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में प्राचार्य प्रो अंजू श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य के साथ साथ विज्ञान और सामाजिकी में भी मातृभाषाओं के अधिकाधिक व्यवहार की जरूरत है। उन्होंने इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों को मातृभाषा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि मातृभाषाओं का सम्मान हम सबका सामूहिक कर्त्तव्य है। संगोष्ठी में उप प्राचार्य प्रो रीना जैन ने कहा कि घर में बोली जाने वाली भाषा वृहद ज्ञान, कौशल और अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके इसके लिए उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि हिंदू कालेज में ही देश भर में बोली जाने वाली अनेक भाषाओं के विद्यार्थी हैं जो मिलकर इस संकल्प को पूरा कर सकते हैं। भौतिक विज्ञान के प्रो सांताक्रुस सिंह ने भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में बोली जाने वाली अनेक भाषाओं का परिचय दिया। प्रो सिंह ने बताया कि अकेले मणिपुर में ही अनेक आदिवासी भाषाएं हैं जिनमें देशज ज्ञान का भंडार है।
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ पल्लव ने इस अवसर पर बताया कि महाविद्यालय की इकाई ने देश की अनेक भाषाओं को बोलने जानने वाले विद्यार्थियों को आपस में इन भाषाओं को सीखने और अधिकाधिक व्यवहार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियों का आयोजन किया है। महाविद्यालय के कोषाध्यक्ष डॉ वरुणेन्द्र रावत, संस्कृत शिक्षक प्रो राजेंद्र कुमार, डॉ पूरणमल वर्मा, हिन्दी विभाग प्रभारी प्रो बिमलेंदु तीर्थंकर सहित अन्य शिक्षकों ने भी संगोष्ठी में विचार व्यक्त किए। इससे पहले राष्ट्रीय सेवा योजना अध्यक्ष नेहा यादव और सचिव आदित्य राज भट्ट ने सभी का फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। सचिव आयुषी कुमारी ने राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा भाषिक गतिविधियों की जानकारी दी।
अंत में कोषाध्यक्ष निशांत सिंह ने आभार व्यक्त किया।