दिल्ली में 1-9 फरवरी 2025 तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेला में 'ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' द्वारा 'भारतीय गणतंत्र के 75 वर्ष' विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो बासुकी नाथ चौधरी ने भारतीय गणतंत्र की स्थापना की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है। भारत के संविधान निर्माताओं ने भारत के एकता और अखंडता के लिए अपनी मिट्टी से जुड़ी अवधारणा को संविधान में समाहित किया।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. हरीश अरोड़ा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह भारतीय गणतंत्र की विशेषता है कि इसने वसुधैव कुटुंबकम की सोच को केंद्र में रखते हुए भारत के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों को संरक्षित करने का काम किया। उन्होंने यह भी कहा कि जनता को समर्पित भारतीय संविधान में गणतंत्र के 75 वर्षों में सामाजिक होंटों को ध्यान में रखते हुए अनेक परिवर्तन किये। तीन तलाक जैसी प्रथा को खत्म करके महिलाओं में समानता के अधिकार की रक्षा और धारा 370 के विशिष्ट प्रावधानों में परिवर्तन कर जम्मू और कश्मीर को भारतीय गणराज्य के अविभाज्य अंग के रूप में स्थान दिया। उनके अनुसार गणतंत्र की इस 75 वर्ष की यात्रा में गनतंत्र ने भी समाज में हावी होने का प्रयास किया लेकिन भारतीय जनता ने गणतंत्र की रक्षा के लिए गनतंत्र को पराजित किया।
प्रसिद्ध उद्योगपति और समाजसेवी डॉ. राकेश पांडे ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हम भारत के लोग' संविधान की उद्देशिका का प्रथम वाक्य, हमारी संवैधानिक और सामाजिक संरचना का सूत्र वाक्य है। इसमें सभी धर्म, वर्ण और जातियां समाहित है। संविधान लागू होने के बाद समय-समय पर अनेक सामाजिक और संवैधानिक परिवर्तन हुए जिसे हमारे संविधान ने अपने में समाहित किया। यह एक मजबूत व परिपक्व लोकतंत्र की निशानी है।
ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया डॉ शिवशंकर अवस्थी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए अपने विचारों को सबसे साझा करते हुए कहा कि संविधान की सबसे बड़ी दें यह थी कि इसने सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया हालांकि कई लोगों को उस समय सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की सफलता पर संदेह दिया लेकिन भारत की जनता ने इस संदेह को निर्मूल साबित किया और पूरे उत्साह के साथ अपने मताधिकार का उपयोग कर लोकतंत्र को सफल बनाया। 73 और 74वे संवैधानिक संशोधन के बाद भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई ।केवल पंचायती राज्य संस्थाओं में ही 30 लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि है। इतने अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि विश्व में अन्यत्र कहीं और नहीं हैं।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रो. अवधेश शर्मा ने कहा कि भारत में लोकतंत्र और गणराज्यवाद की जड़ें बहुत पुरानी हैं। बिहार के वैशाली में लिच्छवी दुनिया का पहला गणराज्य और लोकतंत्र था। इसीलिए भारत को लोकतंत्र और गणराज्य की जननी कहा जाता है। लिच्छवी 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक लोकतांत्रिक गणराज्य था। 20वीं शताब्दी में, भारत 1950 में एक गणराज्य बन गया और यह हर गुजरते दिन मजबूत होता जा रहा है। उन्होंने परिचर्चा में शामिल सभी वक्ताओं और आमंत्रित श्रोताओं का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में अनेक पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया।