नागदा जं. निप्र-प्रत्येक राष्ट्र की अपनी एक राष्ट्र भाषा होती है। उसका अपना गौरवशाली स्थान होता है। भारत में हिन्दी राष्ट्रभाषा बने संघर्ष जारी है। विद्यार्थियों के लिए म.प्र. सरकार ने चिकित्सा विज्ञान को हिन्दी में पढ़ाने का निर्णय लिया है। विद्यार्थी अब अपनी आगे की चिकित्सा संबंधी पढ़ाई हिन्दी में कर सकेंगे। वहीं प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा भारतीय संस्कृति संस्कारों को जीवित रखने के अगणित प्रयास किये जा रहे है। विद्यार्थी अपने जीवन में मम्मी-पापा की जगह माताजी-पिताजी कहेगा, आज से यह संकल्प ले। संस्कृति सारी भाषाओं की जननी है पर हिन्दी संस्कृति को जीवित रखने वाली देश को एक सूत्र में बांधकर रखना हिन्दी का कार्य है। अटलजी द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिन्दी में पहली बार भाषण देकर भारत का गौरव बढ़ाने का कार्य किया क्योंकि भारत की आत्मा है हिन्दी। ये उद्गार हिन्दी प्रचार सेवा समिति द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्वाभिमान यज्ञ समारोह के अवसर पर गुरूकुल विद्या मंदिर के सभागार में विधायक डॉ. तेजबहादुरसिंह चौहान ने रखे।
हिन्द का अभिमान और भारत की आत्मा है हिन्दी-विधायक डॉ. चौहान
January 11, 2025
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आगे जानकारी देते हुए सुन्दरलाल उपाध्याय ‘कोकिल‘ ने बताया कि इसी क्रम में अतिथि वक्ता प्रवीण शर्मा ताल ने कहा कि कुछ राजनेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए हिन्दी का अपमान करते है। इस भावना से ओतप्रोत कविता भी सुनाई। अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सुरेश माधुर ने कहा कि भाषाओं का ताज है हिन्दी कई तर्कपूर्ण विचार रख जीवन में हिन्दी को प्राथमिकता देने की बात कही। मदनलाल शर्मा कोटा ने कहा कि भारत देश बहुभाषी देश है। सभी प्रान्तीय भाषाएँ भारत की समृद्धि का सोपान है। भारत में हिन्दी के प्रचार और विकास के लिए कई संस्थाएँ प्रयासरत है। हिन्दी भारतवासियों की प्रिय भाषा है। वही विधायकजी से नगर में हिन्दी भवन बनाने का आग्रह भी किया। भाजपा मण्डल अध्यक्ष विजय पटेल ने विश्व में हिन्दी की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीयता और अस्मिता की भाषा हिन्दी ही है। हम भाषाओं के विरोधी नहीं है। याद रखिए हिन्दी सन्तो की, व्यवसाय की, ज्ञान-विज्ञान की भाषा है। इसी क्रम में प्रेस क्लब अध्यक्ष दीपक चौहान ने कहा कि हिन्दी साहित्य संस्कृति के तथ्यों को उजागर की भाषा रही है। हिन्दी ने देश स्वतन्त्र कराया क्योंकि हिन्दी जनआंदोलन की भाषा रही है। दिनेश अग्रवाल ने भी हिन्दी को प्राथमिकता के साथ अपनाने का आग्रह किया। स्वागत भाषण गोविन्द मोहता ने दिया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ गायत्री मंत्र के साथ हुआ। पश्चात् हनुमानसिंह शेखावत के निर्देशन में अतिथियों ने ध्वजारोहण किया। ध्वज वन्दन सुन्दरलाल उपाध्याय कोकिल ने की। पश्चात् अतिथियों द्वारा सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन किया। सरस्वती वन्दना निर्मला राठौर स्नेहा परमार, सोनिया ने की। वेदिका शर्मा द्वारा मंचासीन अतिथियों का वेदमंत्र के साथ मंगल कुमकुम तिलक लगाया। अतिथि परिचय समिति अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने दिया। अतिथियों का स्वागत चित्र लेखा व्यास, अन्तिम पांचाल, राजकुमार गोठवाल, मेघा चौहान, गौरी अग्रवाल, आशा सैनी, सीमा व्यास, ममता पोरवाल, दुर्गा खिंची, पुनम पोरवाल, चंदा डाबी, आर.सी. विश्वकर्मा, रमेश मुनीम, गोविन्द मोहता, गोवर्धन विश्वकर्मा, हीरालाल प्रजापत, कैलाशचन्द्र खनार, सुन्दरलाल उपाध्याय कोकिल, राजेश शर्मा, ओमप्रकाश सत्यार्थी ने किया।
समिति का वार्षिक ब्यौरा वाचन विनोद शर्मा ने किया। समारोह में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य परीक्षा के 22 विद्यार्थियों को विद्या विनोद, विद्या रत्न, विद्या विशारद की उपाधियां देकर व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। सारस्वत अतिथि पं. मदनलाल शर्मा कोटा व दिनेश अग्रवाल का शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह उपवस्त्र व अभिनन्दन पत्र भेंट कर नागरिक अभिनंदन किया गया। समिति की ओर से मंचासीन 13 अतिथियों को स्मृति चिन्ह शाल व उपवस्त्र देकर सम्मान किया गया। अन्त में आभार हनुमानसिंह शेखावत कैलाश खनार ने माना। कार्यक्रम का काव्यमयी संचालन डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने किया। शांतिपाठ, स्वल्पाहार के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।