नई दिल्ली, ‘हिंदी की गूँज’ संस्था ने अपना 12 वाँ वार्षिक उत्सव हिंदी भवन, नई दिल्ली में अत्यंत गरिमापूर्ण समारोह में संपन्न किया| समारोह की अध्यक्षता जनसत्ता के संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं बाल साहित्यकार डॉ. सूर्यनाथ सिंह ने की| सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो. हेमंत कुकरेती (वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद्), श्री ऋषि कुमार शर्मा (उपसचिव, हिंदी अकादमी, दिल्ली) एवं कमलेश कुमार ‘कमल’ (भाषाविद् एवं साहित्यकार) मंच पर उपस्थित थे|
संस्था के द्वारा ‘साहित्यकार सम्मान 2024’ के अंतर्गत श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में प्रोफेसर एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’ को उनकी सुदीर्घ हिंदी सेवा के लिए ‘हिंदी ऋषि सम्मान’ से अलंकृत किया गया| ज्ञातव्य है कि प्रो. रवि शर्मा विगत 35 वर्षों से हिंदी शिक्षण एवं शिक्षक प्रशिक्षण में समर्पित भाव से संलग्न हैं| शिक्षण के अतिरिक्त उन्होंने अभी तक 39 पुस्तकों की रचना की है, जिनमें दो व्यंग्य संग्रह, तीन काव्य संग्रह, चार लेख संग्रह, दो समीक्षात्मक ग्रंथ एवं विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर की पाठ्य पुस्तकें सम्मिलित हैं| विगत तीन दशक से अधिक से वे निरंतर हिंदी की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में अपनी कविताओं, व्यंग्य लेखों एवं विचारात्मक लेखन से हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं| रेडियो, दूरदर्शन और अपने यू ट्यूब चैनल के माध्यम से वे हिंदी साहित्य, व्याकरण और रचनात्मकता का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं| दिल्ली की प्राचीनतम संस्थाओं में से एक - दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष एवं महामंत्री पद को सुशोभित करने के अतिरिक्त उन्होंने नव उन्नयन साहित्यिक सोसाइटी के उपाध्यक्ष के रूप हिंदी के उन्नयन में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है| राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें तीन दर्जन से अधिक सम्मानों एवं पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है|
‘हिंदी की गूँज’ संस्था द्वारा सम्मानित किए जाने पर उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, “मैं आज ‘हिंदी की गूँज’ के संस्थापक श्री नरेंद्र सिंह नीहार जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मुझे इस सम्मान के योग्य समझा| हालांकि मुझे नहीं लगता कि मैंने हिंदी के लिए अभी कुछ ऐसा बड़ा कार्य किया है, फिर भी यह उनका मेरे प्रति सम्मान भाव है, जिसे मैं अत्यंत विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूँ|” इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य रचना और शिक्षण में शुद्ध वर्तनी और व्याकरण के प्रयोग की ओर भी ध्यान दिलाया|
उन्होंने वहाँ उपस्थित शिक्षक समुदाय से यह आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत करें, ताकि उनके विद्यार्थी हिंदी के शुद्ध प्रयोग की ओर प्रेरित हों|”
इस कार्यक्रम में डॉ. वर्षा सिंह द्वारा रचित ‘विवेकानंद दोहावली’ का लोकार्पण और उस पर समीक्षात्मक चर्चा भी हुई| इस कार्यक्रम में हिंदी में विशेष योगदान देने के लिए श्री श्याम सुंदर श्रीवास्तव (शिक्षक एवं साहित्यकार, मध्य प्रदेश), श्री राजपाल सिंह गुलिया (कवि एवं दोहाकार. झज्जर, हरियाणा) तथा डॉ. वर्षा सिंह (कवयित्री, मुंबई) को साहित्यकार सम्मान 2024 से अलंकृत किया गया|
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन एवं गायत्री मंत्र के पाठ से तथा समापन राष्ट्रगान से हुआ| मंच का प्रभावी संचालन तरुणा पुंडीर तरुनिल तथा डॉ. लोह कुमार ने किया| श्री नरेंद्र सिंह ‘नीहार’ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था की बारह वर्ष की उपलब्धियों का संक्षिप्त परिचय दिया और संस्था के सक्रिय सदस्यों को माला पहनाकर सम्मानित किया| इस अवसर पर दिल्ली के अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार, शिक्षक एवं हिंदी प्रेमी उपस्थित थे, जिनमें डॉ. सुधा शर्मा ‘पुष्प’, डॉ. मनोज कुमार कैन, ममता श्रीवास्तव, भावना अरोड़ा, डॉ. सुनीत कुमार, डॉ. विनोद, श्री कालीचरण ‘सौम्य’ आदि उपस्थित थे|प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’ ‘हिंदी ऋषि सम्मान’ से अलंकृत
‘हिंदी की गूँज’ संस्था का आयोजन
नई दिल्ली, ‘हिंदी की गूँज’ संस्था ने अपना 12 वाँ वार्षिक उत्सव हिंदी भवन, नई दिल्ली में अत्यंत गरिमापूर्ण समारोह में संपन्न किया| समारोह की अध्यक्षता जनसत्ता के संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं बाल साहित्यकार डॉ. सूर्यनाथ सिंह ने की| सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो. हेमंत कुकरेती (वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद्), श्री ऋषि कुमार शर्मा (उपसचिव, हिंदी अकादमी, दिल्ली) एवं कमलेश कुमार ‘कमल’ (भाषाविद् एवं साहित्यकार) मंच पर उपस्थित थे|
संस्था के द्वारा ‘साहित्यकार सम्मान 2024’ के अंतर्गत श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में प्रोफेसर एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’ को उनकी सुदीर्घ हिंदी सेवा के लिए ‘हिंदी ऋषि सम्मान’ से अलंकृत किया गया| ज्ञातव्य है कि प्रो. रवि शर्मा विगत 35 वर्षों से हिंदी शिक्षण एवं शिक्षक प्रशिक्षण में समर्पित भाव से संलग्न हैं| शिक्षण के अतिरिक्त उन्होंने अभी तक 39 पुस्तकों की रचना की है, जिनमें दो व्यंग्य संग्रह, तीन काव्य संग्रह, चार लेख संग्रह, दो समीक्षात्मक ग्रंथ एवं विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर की पाठ्य पुस्तकें सम्मिलित हैं| विगत तीन दशक से अधिक से वे निरंतर हिंदी की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में अपनी कविताओं, व्यंग्य लेखों एवं विचारात्मक लेखन से हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं| रेडियो, दूरदर्शन और अपने यू ट्यूब चैनल के माध्यम से वे हिंदी साहित्य, व्याकरण और रचनात्मकता का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं| दिल्ली की प्राचीनतम संस्थाओं में से एक - दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष एवं महामंत्री पद को सुशोभित करने के अतिरिक्त उन्होंने नव उन्नयन साहित्यिक सोसाइटी के उपाध्यक्ष के रूप हिंदी के उन्नयन में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है| राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें तीन दर्जन से अधिक सम्मानों एवं पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है|
‘हिंदी की गूँज’ संस्था द्वारा सम्मानित किए जाने पर उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, “मैं आज ‘हिंदी की गूँज’ के संस्थापक श्री नरेंद्र सिंह नीहार जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मुझे इस सम्मान के योग्य समझा| हालांकि मुझे नहीं लगता कि मैंने हिंदी के लिए अभी कुछ ऐसा बड़ा कार्य किया है, फिर भी यह उनका मेरे प्रति सम्मान भाव है, जिसे मैं अत्यंत विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूँ|” इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य रचना और शिक्षण में शुद्ध वर्तनी और व्याकरण के प्रयोग की ओर भी ध्यान दिलाया|
उन्होंने वहाँ उपस्थित शिक्षक समुदाय से यह आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत करें, ताकि उनके विद्यार्थी हिंदी के शुद्ध प्रयोग की ओर प्रेरित हों|”
इस कार्यक्रम में डॉ. वर्षा सिंह द्वारा रचित ‘विवेकानंद दोहावली’ का लोकार्पण और उस पर समीक्षात्मक चर्चा भी हुई| इस कार्यक्रम में हिंदी में विशेष योगदान देने के लिए श्री श्याम सुंदर श्रीवास्तव (शिक्षक एवं साहित्यकार, मध्य प्रदेश), श्री राजपाल सिंह गुलिया (कवि एवं दोहाकार. झज्जर, हरियाणा) तथा डॉ. वर्षा सिंह (कवयित्री, मुंबई) को साहित्यकार सम्मान 2024 से अलंकृत किया गया|
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन एवं गायत्री मंत्र के पाठ से तथा समापन राष्ट्रगान से हुआ| मंच का प्रभावी संचालन तरुणा पुंडीर तरुनिल तथा डॉ. लोह कुमार ने किया| श्री नरेंद्र सिंह ‘नीहार’ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था की बारह वर्ष की उपलब्धियों का संक्षिप्त परिचय दिया और संस्था के सक्रिय सदस्यों को माला पहनाकर सम्मानित किया| इस अवसर पर दिल्ली के अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार, शिक्षक एवं हिंदी प्रेमी उपस्थित थे, जिनमें डॉ. सुधा शर्मा ‘पुष्प’, डॉ. मनोज कुमार कैन, ममता श्रीवास्तव, भावना अरोड़ा, डॉ. सुनीत कुमार, डॉ. विनोद, श्री कालीचरण ‘सौम्य’ आदि उपस्थित थे|