रामलीला के मंच पर हुऐ लंकापति रावण की हुई एंट्री | रावण – भकरण – विभीषण द्वारा सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा की स्तुति कर वरदान प्राप्त करना | रावण ने मांगा वरदान अमरता का / विभिषण ने भक्ति का / कुंभकरण वरदान मांग रहा था “इंद्रासन” परंतु मांग बैठा निद्रासन 6 महीने के बाद केवल 1 दिन जागना फिर 6 महीने निद्रा मे चले जाना | क्षमा याचना में ब्रह्मा जी ने यदि आपको निद्रा से जगाया जायेगा तो आपकी मृत्यु निश्चित हैं |
वरदान प्राप्त लंकेश ने ऋषि मुनीयों, पर अत्याचार करना शुरू कर दिया | दु:खी ऋषि, देवता सभी भगवान विष्णु जी की शरण में पहुचकर याचना की भगवान विष्णु द्वारा रघुकुल सम्राट राजा दशरथ के यहाँ जन्म लेने का आश्वासन तथा पृथ्वी को आतंक से मुक्त करूगा | आज की लीला का मुख्य आकर्षण अध्यात्म रामायण की प्रेरणा लेकर “महारानी मंदोदरी द्वारा रावण की नाभि में अमृत कलश की स्थापना रही | मंदोदरी के परिवार से प्राप्त अमृत कलश की स्थापना नाभि विशेषज्ञ रावण के भ्राता विभिषण से प्रार्थना कर देवता से युद्ध से पूर्व विभिषण द्वारा ही नाभि में अमृत की स्थापना की गई | यह प्रसंग दिल्ली के रामलीला इतिहास मे प्रथम बार मंचित किया गया |
लीला स्थल में आज आई. पी. एक्स०, के पर सेवा समर्पित, सांस्कृति, धार्मिक – सेवार्थी संस्थाओ के 42 प्रधानो को सम्मनित किया गया | सभी अतिथियों ने केदारनाथ मंदिर स्वरूप द्वार पर सल्फी ली | इस अवसर क्षेत्रीय विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा, लीला के वाईस चैयरमैन श्री चंद्रभान बंसल, श्री अरुण गुप्ता, स्वागत मंत्री श्री रजत रस्तोगी, श्री सुरेश मित्तल, श्री बी० एम० अग्रवाल, श्री मोहन चन्दना, पार्षद श्रीमती शशि चन्दना, श्री मितिन गर्ग, श्री मुकेश कौशिक, श्री राजु भाई दावे, श्री गिरिश अग्रवाल, श्री कौशन अग्रवाल, ने सभी का अभिन्दन किया |
प्रेषक
सुरेश बिंदल