दिल्ली में दिव्यांग आयुक्त का पद फरवरी 2024 से रिक्त हैं और दिव्यांग व्यक्ति अपने अधिकार और न्याय की प्राप्ति हेतु दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। भारत सरकार के दिव्यांगता अधिनियम 2016 की धारा 79 के प्रावधान के अनुसार भारत के सभी राज्यों को राज्य दिव्यांग आयुक्त की नियुक्ति करनी पड़ती हैं। यह दिव्यांग आयुक्त दिव्यांगों को न्याय दिलवाने को सतत प्रयत्नशील रहता है। सरकारी संस्थानों, कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों मे दिव्यांग व्यक्ति के अधिकार का यदि हनन होता है तो दिव्यांग आयुक्त उनकी रक्षा में खड़ा हो जाता है। उनकी कोर्ट में दिव्यांगो को मुफ्त में न्याय प्रदान किया जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश दिल्ली के दिव्यांग जनों को पिछले छः महीनों से न्याय की आस में दर दर भटकना पड़ रहा है क्योंकि राज्य दिव्यांग आयुक्त का पद किसी की नियुक्ति की बाट जोह रहा है।
इस के मद्दे नज़र डॉ राकेश रमण झा, सदस्य, राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड, दिल्ली सरकार ने पत्र के माध्यम से दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना से आग्रह किया है कि दिल्ली के राज्य दिव्यांग आयुक्त की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से किया जाय ताकि दिव्यांगों को न्याय मिल सके। इसके साथ उन्होंने उपराज्यपाल से निवेदन किया है कि इस दफा किसी दिव्यांग व्यक्ति को ही आयुक्त पद की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें ही इस क्षेत्र का प्रैक्टिकल नॉलेज होता है।
डॉ राकेश रमण झा, सदस्य,राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड ने उपराज्यपाल महोदय से यह भी आग्रह किया है कि बोर्ड की मीटिंग भी अतिशीघ्र बुलाई जाय ताकि दिल्ली मे दिव्यांग जनों के पुनर्वास हेतु नई योजना पर चर्चा की जाय और उस दिशा में कार्यवाही संभव हो सके। डॉ झा ने उपराज्यपाल महोदय के संज्ञान में लाया है कि पिछले दो साल से बोर्ड की मीटिंग समाज कल्याण मंत्रालय, दिल्ली सरकार द्वारा नहीं बुलाई गई है। दिव्यांगों से संबंधित कई योजनाएं विचाराधीन हैं।