क्लबफुट जन्मजात बच्चों में होने वाली बीमारियों में से एक है। यह प्रकार की जन्मजात विकृति है। जिसके कारण बच्चों के पैर प्रभावित होते हैं। सफदरजंग अस्पताल के इमरजेंसी ब्लॉक में क्योर इंडिया द्वारा आयोजित नेशनल क्लबफुट कॉफ्रेंस आयोजित किया गया। इस दौरान इस बीमारी को लेकर विशेषज्ञों ने चर्चा की। इस दौरान इसके प्रति जागरुकता फैलाने और मरीजों की सहायता करने वाले कई व्यक्तियों और स्वयंसेवियों को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अति के रूप में शिरकत कर रहे दिल्ली राज्य दिव्यांगजन आयोग के आयुक्त रंजन मुखर्जी ने क्लबफुट के प्रति जागरुकता की जरूरतों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अबतक इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक और सचेत करने की जो पहल हुई है, उसका लाभ सामाजिक स्तर पर देखने को मिल भी रहा है। उन्होंने कहा कि हमें आगे भी इस तरह के प्रयास लगातार जारी रखना होगा।
दिव्यांगजन आयुक्त ने कहा कि यह रोग नवजात बच्चों से जुडा हुआ है। ऐसे में हमें इस मामले की गंभीरता को समझनी होगी। जन्मजात विकृतिया शिशु के संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंस लगातार सर्जरी और रिहेबिलिटेशन के मामले में तरक्की कर रहा है। सर्जरी से ऐसे बच्चों की विकृति को ठीक किया जा सकता है, यह जानकारी अधिक से अधिक संख्या में लोगों तक पहुंचनी चाहिए। ताकि, अगर कोई शिशु इस समस्या से पीडित हो, तो उसके परिजन समय रहते उसकी चिकित्सा करा लें।
दिव्यांगजन आयुक्त रंजन मुखर्जी ने स्वयंसेवी संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जागरुकता और सहायता जैसे समग्र प्रयासों से इस तरह की विकृति से पैदा हुई चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे खुद को भी एक स्वयंसेवी ही मानते हैं और विकलांगता और उससे होने वाली समस्याओं के प्रति जो कुछ भी वे कर सकते हैं करने का प्रयास हमेशा करते हैं।
कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र की टीम के सदस्यों को उनके बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान दिव्यांगजन आयुक्त और कार्यक्रम में मौजूद अन्य अतिथियों प्रदान किया। कार्यक्रम में संस्थान के फाउंडर डायरेक्टर डॉक्टर संतोष, फाउंडर ट्रस्टी डॉक्टर मैथ्यू, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स लंदन के प्रेसिडेंट डॉक्टर अदीश अग्रवाल मौजूद रहे।