समीक्षक-डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल
देश के जाने-माने लेखक, पत्रकार व साहित्यकार ललित गर्ग हिन्दी साहित्य जगत के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर है। सिद्धहस्त लेखक के रूप में श्री गर्ग वर्षों से देश के अनेक हिन्दी, अंग्रेजी समाचार पत्रों में स्तंभकार, कॉलमकार, टिप्पणीकार के रूप में चर्चित है। समसामयिक विषयों पर अपने आलेखों के माध्यम से श्री गर्ग का सटीक विश्लेषण, पैनी दृष्टि व मौलिक चिंतन देखने को मिलता है। श्री गर्ग लेखन के साथ-साथ संपादन कला में भी विशिष्ट दक्षता रखते है। देश के अनेक समाचार पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कर आपने साहित्य जगत में अपनी अनूठी पहचान बनायी है। नैतिक व मानवीय मूल्यों के प्रति आपका समर्पण व आस्था ने आपके व्यक्तित्व को नई पहचान दी है। प्रस्तुत समीक्ष्य कृति ’जीवन का कल्पवृक्ष’ लेखक ललित गर्ग की नव-प्रकाशित पुस्तक हैं। पुस्तक प्रवेश पर समर्पण करते हुए लेखक लिखते है-राष्ट्रसंत आचार्यश्री तुलसी को मेरी कृति ’जीवन का कल्पवृक्ष’ समर्पित करते हुए प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। जिनके महान अवदानों से एक नई सुबह का अवतरण हुआ। वे आगे लिखते है ’नैतिक और आध्यात्मिक विचारों की प्रेरणा मुझे आचार्य श्री तुलसी से मिली। उनके विराट व्यक्तित्व को किसी उपमा से उपमित करना उनके व्यक्तित्व को ससीम बनाना है। उनके लिए तो इतना ही कहा जा सकता है कि वे अनिर्वचनीय हैं। लेखक का संत पुरूष के प्रति केवल समर्पण ही नहीं बल्कि आपके व्यवहार व लेखन में भी यह भाव प्रकट होते है।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् से सुशोभित यह कृति विशिष्ट ग्रंथ बन गया है। सत्यम् की प्रस्तुति देते हुए जैन संत गणि राजेन्द्र विजय लिखते है-यह एक अपूर्व कृति है और ललितजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का समग्र प्रतिनिधित्व करती है। पुस्तक असंख्य लोगों के जीवन के लिए लाभकारी एवं उपयोगी सिद्व होगी, यह मानवता का नया आलोक बिखेरकर पाठकों के पथ को आलोकित करती रहेगी। शिवम् को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्र किंकर के संपादक प्रख्यात चिंतक डॉ विनोद बब्बर लिखते है-ललितजी बहुत सरल, सहज, सुबोध भाषा और रोचक शैली में ’मनुर्भव’ का ज्ञानामृत जन-जन तक पहुंचाने के भगीरथ कार्य में लगे है। इसी प्रकार सुन्दरम् को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार लालित्य ललित लिखते है-सहयोग, समर्पण और स्नेह से भरी यह एक उपयोगी पुस्तक है। श्री गर्ग ने समाज को एक पुष्प और खुशूबू दार ऐसा पौधा जाने अनजाने में देने का प्रयास किया है, जिसके अध्ययन मात्र से पाठको को एक नई दिशा और संचारयुक्त स्फूर्ति प्राप्त हो, जिनसे उनके भविष्य निर्माण में यह पुस्तक सहायक सिद्ध हो।
पुस्तक की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए लेखक ललित गर्ग कहते है-इंसान घर बदलता है, लिबास बदलता है, रिश्ते बदलता है, दोस्त बदलता है, फिर भी परेशान क्यों रहता है? इस पुस्तक में यह कोशिश की गई है कि इंसान बदलें, उसकी सोच बदलें, उसका व्यवहार बदले और बदलने की उसकी दिशा सदैव सकारात्मक हो ताकि वह जिंदगी के वास्तविक मायने समझ सके। जब तक इंसान खुद को नहीं बदलता, वह अपनी मंजिल को नहीं पा सकता। मंजिल को पाने एवं जीत हासिल करने के लिए स्वयं का स्वयं पर अनुशासन जरूरी है। इसी सूत्र को यह पुस्तक प्रस्तुत करती है।
प्रस्तुत पुस्तक में समाहित एक-एक आलेख जीवन निर्माण की दिशा में उठा प्रभाावी कदम है। प्रत्येक आलेख भावों से ओत-प्रोत होने के साथ ही मूल्यों के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा प्रदान करता है। पुस्तक में कुल 66 आलेखों का संग्रह किया गया है। प्रत्येक आलेख पठनीय, मननीय व जीवन में अनुकरण करने योग्य है। प्रथम आलेख निष्काम भक्ति ही सुख का मार्ग में लेखक ने भौतिकता के चकाचौंध में अध्यात्म की व्याख्या करते हुए लिखते है-विश्व के अधिकांश व्यक्ति आज भौतिक मूल्यों के उपासक बन गये हैं, और जीवन के धर्म को भूल गये हैं। उनकी भौतिक उपासना ने दुनिया के बाह्य जगत को बड़ा सुवाहना, लुभावना और आकर्षक बना दिया है जबकि वास्तविकता सुख आंतरिक सौंदर्य, अंतर्जगत की जागृति एवं अंतर्यात्रा से ही संभव है। इसी प्रकार सत्ता, संपत्ति और ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है चरित्र, शांति की चाह ही है सुख की राह, मनुष्य स्वयं है ऊर्जा का केन्द्र, अंह झूकेगा, तो सारे गुण ऊंचे उठ जायेगे, जरूरी है सह-अस्तित्व की भावना आदि सभी आलेख न केवल पठनीय बल्कि जीवन को उच्च बनाने में सहयोगी है।
बचपन से ही लेखक का परिवेश अध्यात्मिक रहा है, यह उनकी लेखनी में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है। संसार में संसार के न होकर जीएं आलेख में लिखते है-मनुष्य का मन बहुत चंचल है। वह नित्य नई मांगे करता है। इनका कभी अंत नहीं होता। एक मांग पूरी हुई नहीं कि दूसरी सामने आ जाती है। घर में चीजों को ढेर लग जाता है। उनमें न जाने कितनी चीजे ऐसी होती है, जो सालों हमारे काम नहीं आती। लेखक ने हर जगह अध्यात्म के साथ जीवन को प्रवर्द्धमान करने का संदेश दिया है। इसके अलावा आप खुद कर सकते हैं समस्याओं का समाधान, जब धर्म गुरू शासक वर्ग को संरक्षण देते है, हमारे संतोष में ही समाया है जीवन का सारा सुख, संकटों के बिना जीवन का असली आनन्द नहीं आता, शांति भौतिक नहीं, आत्मा के धरातल पर ही संभव है, अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी जीना होगा। पाठक को पुस्तक में समाहित एक-एक विषय बड़ी रोचकता प्रदान करने के साथ पाठक को बांधे रखता है। पुस्तक पढना शुरू करने के बाद पाठक की जिज्ञासा और अधिक बढने लग जाती है।
पुस्तक में समाहित आलेखों को पढकर शीर्षक जीवन का कल्पवृक्ष सार्थक सिद्ध होता नजर है, आलेखों की क्रमवार श्रृंखला सही मायने में कल्पवृक्ष से कम नहीं है। इसके अलावा हमारा अच्छा व्यवहार ही जीवन का निर्माण करता है, धन संपत्ति से ज्यादा जरूरी हैं अच्छे विचार, औरों को दुखी कर स्वयं सुख बटोरने की मानसिकता त्यागें, अपनी प्रशंसा सुनकर भी सहज रहना बड़प्पन का लक्षण है, अनाग्रह से सत्य का स्पर्श व समस्याओं का समाधान, जीवन की सार्थकता का मूल आधार मानवीय गुण हैं, समाज उसे पूजता है जो दूसरों के लिए जीता है, जीवन का बड़ा सूत्र है अंह की दिवार तोड़ देना, खुशहाल जीवन के लिए अहंकार का त्याग कर प्रेम के पौधे रोपने होंगे आदि सभी आलेख मन को प्रसन्नता देने के साथ ही जीवन में आनन्द की अनुभूति प्रदान करते है।
लेखक ललित गर्ग द्वारा लिखित इस कृति की यह विशिष्टता है कि इसमें अध्यात्म, नैतिकता एवं जीवन निर्माण की शिक्षा को प्रेरणा के रूप में समाहित किया गया है। यह कृति केवल आम पाठक ही नहीं बल्कि विद्वानों के लिए भी उपयोगी साबित होगी। सहज, सरल व धाराप्रवाह भाषा में संयोजित ऐसी कृतियों से पाठक वर्ग बहुत कुछ सीख सकता है। पुस्तक का आवरण पृष्ठ मन को आकर्षित करने में सक्षम है। सही मायने में जीवन का कल्पवृक्ष कृति एक महत्वपूर्ण मूल्यों से जुड़े ग्रंथ का स्वरूप है। पुस्तक की छपाई, कागज एवं टाइपसैटिंग सुन्दर व आकृर्षित करने वाला है। इस कृति के माध्यम से जीवन के दर्शन को सहजता, सरलता से समझा जा सकता है। पुस्तक पाठक मन में नैतिक मूल्यों को विकसित करने में सक्षम है। ऐसी उत्कृष्ट कृति को अध्यात्म व नैतिक दर्शन का लघु ग्रंथ कहा जा सकता है। ऐसी उत्कृष्ट पुस्तक लेखन के लिए लेखक ललित गर्ग बधाई के पात्र हैं।
पुस्तक का नाम- ’जीवन का कल्पवृक्ष’ लेखक-ललित गर्ग, नई दिल्ली
प्रकाशक-सुखी परिवार फाउण्डेशन, नई दिल्ली मूल्य-300 रूपये
पृष्ठ संख्या-159 प्रथम संस्करण-2023