भारत आज केवल एक देश नहीं, बल्कि विश्व की युवा ऊर्जा का केंद्र बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र और नीति आयोग की ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम आयु का है, जबकि 27 प्रतिशत आबादी 15 से 29 वर्ष के बीच की है। विश्व के लगभग 20 प्रतिशत युवा अकेले भारत में रहते हैं, यानी हर पाँच में से एक युवा भारतीय है। यह जनसांख्यिकीय तथ्य भारत को वह शक्ति देता है जो आने वाले वर्षों में इसे वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ा सकती है।
नवाचार और तकनीकी क्रांति में भारतीय युवा
21वीं सदी की डिजिटल और वैज्ञानिक दुनिया में भारतीय युवाओं की भूमिका अग्रणी बन चुकी है। गूगल के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, एडोबी के शांतनु नारायण और यूके की एचएसबीसी बैंक के सीईओ नितिन परांजपे जैसे नाम यह साबित करते हैं कि भारतीय मस्तिष्क आज विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों का संचालन कर रहे हैं। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम भी युवा शक्ति का प्रमाण है। 2025 तक भारत में 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप्स के पंजीकरण की संभावना है, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक की कमान 30 वर्ष से कम आयु के युवाओं के हाथ में है। फिनटेक, एग्रीटेक, हेल्थटेक, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भारतीय युवा नवाचार की दिशा में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर बैंगलुरु की ज़ेरोधा, पुणे की रेज़रपे, और गुरुग्राम की ओयो रूम्स जैसी कंपनियाँ यह दिखाती हैं कि भारतीय युवा “नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले” बन चुके हैं।
शिक्षा और कौशल का नया परिदृश्य
नई शिक्षा नीति (2020) ने भारतीय शिक्षा को युवा-केंद्रित दिशा दी है। अब शिक्षण संस्थान केवल डिग्री देने के स्थान नहीं, बल्कि नवाचार, कौशल और विचार निर्माण के केंद्र बन रहे हैं। आईआईटी, आईआईएम, आईसीएस और नए निजी विश्वविद्यालय युवाओं को वैश्विक स्तर की शिक्षा, उद्यमिता के अवसर और अनुसंधान का वातावरण प्रदान कर रहे हैं। यूनेस्को की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत से हर वर्ष लगभग 2.5 लाख छात्र विदेशों में पढ़ने जाते हैं। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत विद्यार्थी अब पढ़ाई पूरी कर वापस भारत लौटकर यहाँ नवाचार और उद्योग स्थापित कर रहे हैं। यह “ब्रेन ड्रेन” से “ब्रेन गेन” की दिशा में ऐतिहासिक परिवर्तन है।
सामाजिक चेतना और जिम्मेदारी
भारतीय युवा अब केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, वे समाज परिवर्तन की धुरी भी बन रहे हैं। चाहे जलवायु परिवर्तन की बात हो या लैंगिक समानता की, युवाओं की सोच अब पहले से कहीं अधिक संवेदनशील और प्रगतिशील है। लिसिप्रिया कंगुजम, जो मात्र 13 वर्ष की हैं, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में “प्लास्टिक फ्री कैंपस”, “क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट”, “सेव वाटर मिशन” जैसे आंदोलन युवाओं के नेतृत्व में चल रहे हैं। “स्वच्छ भारत मिशन”, “हर घर तिरंगा” और “डिजिटल इंडिया” जैसे अभियानों की सफलता का सबसे बड़ा श्रेय युवाओं को ही जाता है।
विश्व मंच पर भारतीय पहचान
भारत की युवा शक्ति आज विश्व के हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है। विज्ञान और तकनीक में इसरो के चंद्रयान-3 और आगामी गगनयान मिशन में 70 प्रतिशत से अधिक इंजीनियर युवा हैं। खेलों में नीरज चोपड़ा, स्मृति मंधाना, पीवी सिंधु और प्रणति नायक जैसे युवा खिलाड़ी भारत की नई पहचान बने हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के अनुसार, भारत की युवा आबादी विश्व के कुल युवाओं का लगभग 20 प्रतिशत है, जबकि चीन और अमेरिका जैसे देशों में यह प्रतिशत क्रमशः 12 प्रतिशत और 7 प्रतिशत है। अर्थात्, आने वाले दशक में हर चौथा वैश्विक कामगार भारतीय युवा होगा।
डिजिटल भारत और भविष्य की दिशा
सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएँ जैसे डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया मिशन ने युवाओं को अभूतपूर्व अवसर प्रदान किए हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था में युवा अब नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे हैं। विश्व आर्थिक मंच की “फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2024” में भारत को “ग्लोबल टैलेंट पावरहाउस” कहा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले पाँच वर्षों में भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, ग्रीन एनर्जी और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में 1 करोड़ से अधिक नई नौकरियाँ सृजित होंगी। इनका अधिकांश हिस्सा युवा वर्ग को ही मिलेगा। भारत की “डिजिटल डिप्लोमेसी” और “टेक्नो-इकॉनॉमिक स्ट्रेंथ” अब विश्व के लिए मॉडल बन रही है।
संस्कृति और संवेदना का संगम
भारतीय युवाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे तकनीकी रूप से आधुनिक हैं, परंतु अपनी सांस्कृतिक जड़ों से गहराई से जुड़े हुए हैं। वे परंपरा और प्रगति का संतुलित मिश्रण हैं। सफलता उनके लिए केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक उपलब्धि भी है। आज का युवा अपने व्यक्तिगत हित से अधिक, साझे कल्याण और मानवता के उत्थान की बात करता है। यही भाव भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो अब विश्व में भारत की सॉफ्ट पावर के रूप में उभर रही है।
तुलनात्मक दृष्टिः भारत बनाम विश्व
देश युवाओं (15-29 वर्ष) का प्रतिशत विशेष उल्लेख
भारत 27.2 प्रतिशत विश्व के कुल युवाओं का 20 प्रतिशत भारत में
चीन 17 प्रतिशत वृद्ध जनसंख्या तेज़ी से बढ़ रही
अमेरिका 14 प्रतिशत युवाओं की संख्या घट रही
नाइजीरिया 33 प्रतिशत जनसंख्या बहुत युवा, पर शिक्षा सीमित
यह तालिका दर्शाती है कि भारत की युवा जनसंख्या विशाल होने के साथ-साथ शिक्षित और तकनीकी दृष्टि से भी मजबूत है। भारत के युवाओं में ऊर्जा है, दृष्टि है और दिशा पाने की क्षमता है। वे आज न केवल भारत का, बल्कि पूरे विश्व का भविष्य गढ़ रहे हैं। अगर नीति, अवसर और मार्गदर्शन की सही समन्वय हो जाए, तो 21वीं सदी निश्चय ही “भारतीय युवाओं की सदी” कहलाएगी। “युवा भारत नहीं, विश्व का भविष्य गढ़ रहे हैं।”
लेखक
डॉ. चेतन आनंद
(कवि-पत्रकार)
