21 नवम्बर:~"चंदन की महक सीमित समय तक परन्तु संतो के कर्मों की सुगंध युगों तक समाप्त नहीं होती" यह उदगार व्यक्त किया गया स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा ब्रह्मलीन सदगुरु श्री श्री 108 राजमाता जी महाराज की पुण्य तिथि पर आयोजित संत सम्मेलन पर गोरख पार्क शाहदरा स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर में उपस्थित भक्तजनों को।
सदगुरु राजदरबार के प्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि ब्रह्मलीन सदगुरु श्री श्री 108 राजमाता जी महाराज की पुण्य तिथि पर स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के सान्निध्य में भव्य संत सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें दिल्ली,उत्तर प्रदेश, हरियाणा,मध्य प्रदेश से आए दिव्य संतों ने उपस्थिति दर्ज कराई। सर्वप्रथम प्रातः काल मंदिर गर्भगृह स्थित गुफा में सदगुरु श्री राजमाता जी महाराज की समाधि पर वस्त्र, पुष्पांजलि अर्पित करते हुए आरती उतारी गई।व्यासपीठ पर स्थापित सदगुरु श्री राजमाता जी महाराज की जीवंत प्रतिमा पर संत समाज द्वारा शॉल ओढ़ाकर, पुष्पमाला के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष दूधेश्वर पीठाधीश्वर महंत श्री नारायण गिरी जी महाराज की अध्यक्षता में म म स्वामी श्री नवल किशोर दास जी, म म स्वामी श्री विद्यागिरी जी महाराज, म म स्वामी श्री कंचन गिरी जी महाराज, गौशाला संचालक म म स्वामी श्री राममंगल दास जी महाराज, म म स्वामी श्री रामगोविन्द दास जी महाराज, म म स्वामी श्री राजेश्वराश्रम जी महाराज, दिल्ली विरक्त मंडल के अध्यक्ष म म स्वामी दीनबंधु दास जी महाराज, म म स्वामी श्री महाकाल जी महाराज, म म स्वामी श्री जलेश्वरानंद गिरी जी महाराज,महंत ओमप्रकाश गिरी जी महाराज, महंत सतीश दास जी महाराज, महंत धीरेन्द्र पूरी जी महाराज के अलावा अनेक संत महात्माओं ने भाग लिया। सदगुरु राजदरबार के शिष्यों ने संत महात्माओं को शॉल ओढ़ाकर, कण्ठ में माला पहनाकर, दक्षिणा सहित उपहार भेंट करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया। दधीचि देहदान समिति द्वारा देहदान के लिए जागरूकता हेतु शिविर लगाया गया।जिसमें अशोक बंसल, अमित गर्ग, विश्वास शुक्ल द्वारा पत्रक एवं देहदान में रुचि प्रदर्शित करने वाले लोगों को फॉर्म दिए गए।
इस अवसर पर भक्तों को आशीर्वचन देते हुए स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि "सदगुर श्री राजमाता जी महाराज परमात्मा द्वारा सांसारिक जीवों पर उपहार में दिए गए ऐसे दिव्य गृहस्थी संत थे जिन्होंने गृहस्थ धर्म के साथ संन्यास दोनों को साथ लेकर जीवन आनंदमई जीने का ज्ञान दिया।स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने आगे बोलते हुए कहा कि चंदन की महक कुछ समय तक संसार को महकाती है लेकिन संतो के कर्मों की सुगंध युगों तक संसार को उत्तम मार्गदर्शन के साथ महकाती रहती हैं।हमें संत महात्माओं के दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए जिससे स्वयं के साथ संसार का भी उद्धार होता हैं।
