आज श्री रामलीला महोत्सव के दशवे दिन का आयोजन संपन्न हुआ। महोत्सव के अंतर्गत प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक प्रतीकात्मक पुतले का चुनाव किया गया। आज चौथे पुतले के रूप में तीन विकल्प प्रस्तुत किए गए थे: ट्रेरिफ दादागिरी, अवैध मतावरण, और पहलगांव के आतंकी। भक्तों को इन तीनों में से एक का चुनाव करना था। मतदान प्रक्रिया में कुल 769 वोट पड़े, जिनमें पहलगांव के आतंकी को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए। इसके साथ ही यह निर्णय लिया गया कि आज का चौथे पुतला पहलगांव के आतंकी का होगा। पुतले का विधिवत दहन किया गया जायेगा। इस चुनाव में रामलीला कमेटी के सदस्यों के साथ-साथ सहकारी समिति के सदस्यों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। 769 मतदाताओ ने मतदान में भाग लिया | सर्वधिक मत पहल गाँव के आतंकी को मिले उन्हें 484 मत प्राप्त हुए | इस मतदान में क्रिकेट मैच का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से दिखा दुसरे नंबर पर ट्रेरिफ दादागिरी रहा 174 मत मिले अवैध धर्मातरण को 111 मत प्राप्त हुए |
मतदातो ने अपने विचारो में अवैध धर्मातरण पर बुलडोजर बाबा को बधाई दी तथा देश में बाबा का बुलडोजर चलने की मांग का समर्थन किया | आज की लीला की शुरुआत उस दृश्य से हुई, जिसमें रावण अपने भाई कुंभकर्ण को युद्ध हेतु जगाता है। कुंभकर्ण को जगाने के लिए कई प्रयास किए गए – नगाड़ों की आवाज, भोजन की सुगंध और शक्तिशाली मंत्रों से अंततः कुंभकर्ण की निद्रा टूटी। इसके बाद राम और कुंभकर्ण के बीच घोर युद्ध का मंचन हुआ। कुंभकर्ण ने राम की सेना को भारी क्षति पहुँचाई, परंतु अंततः श्रीराम के बाणों से कुंभकर्ण का वध हुआ। इस युद्ध ने दर्शकों को वीरता और बलिदान का संदेश दिया।
लीला का अगला दृश्य भावनात्मक था, जिसमें सुलोचना ने अपने पति मेघनाद को युद्ध में जाने से रोकने का प्रयास किया। सुलोचना जानती थी कि यह युद्ध मेघनाद के जीवन का अंतिम युद्ध हो सकता है, इसलिए वह उसे समझाने का प्रयास करती है, परंतु मेघनाद धर्म और कर्तव्य का पालन करते हुए युद्ध में जाने का निश्चय करता है।
युद्ध से पूर्व मेघनाद ने तांत्रिक यज्ञ किया, जो उसकी विजय का माध्यम बन सकता था। किंतु वानर सेना ने उस यज्ञ को अधूरा कर दिया। इसके बाद लक्ष्मण और मेघनाद के बीच घमासान युद्ध हुआ, जिसमें दोनों योद्धाओं ने अपनी समस्त शक्तियों का प्रयोग किया। अंततः श्रीराम के निर्देश पर लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया।
मेघनाद की मृत्यु के पश्चात उसका शरीर रणभूमि में गिर गया और उसकी एक भुजा सुलोचना के महल में जा गिरी। यह दृश्य अत्यंत करुणामय था। सुलोचना ने जैसे ही अपने पति की भुजा को देखा, वह विलाप करती हुई बेहोश हो गई। इसके बाद सुलोचना रामदल में मेघनाद का शीश लेने पहुंचती है। वह श्रीराम से अनुमति मांगती है और राम उसकी पतिव्रता नारी के रूप में सम्मानपूर्वक सहायता करते हैं। सुलोचना लीला प्रसंग में सुलोचना की करुणा, त्याग और धर्मनिष्ठा को दर्शाया गया। इस दृश्य ने उपस्थित दर्शकों को भावुक कर दिया। पूरे रामलीला मैदान में शांति और श्रद्धा का वातावरण छा गया। आज की लीला में वीरता, धर्म, और स्त्री-सम्मान जैसे गूढ़ संदेशों को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों ने तालियों और भावनाओं के साथ सराहा। पूरे आयोजन के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उपस्थित रही, और हर दृश्य पर तालियों की गूंज सुनाई दी। आज की रामलीला ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत किया बल्कि सामाजिक संदेश भी दिया। वर्षा के भीगे मैदान को 5 पम्प लगा कर पानी से मुक्त किया गया |
दशहरे के शुभ अवसर माँ भारती के सपूत, देश के प्रधान मंत्री व् विश्व के प्यारे नेता श्री नरेन्द्र मोदी जी लीला के मंच से विश्को सन्देश देंगे
सुरेश बिंदल