दिनाँक- 13 अक्टूबर 2025, सोमवार को शाम 5 :30 बजे, गूगल मीट पर आयोजित किया गया।
इस अवसर अध्यक्षता कर रही अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि - “ये कहना बिल्कुल भी सही नहीं है कि पुस्तकें पढ़ी नहीं जा रहीं हैं या बिक नहीं रहीं हैं। अभी हाल के दिनों में एक प्रकाशक ने, एक लेखक को छः माह की रायल्टी तीस लाख रू दी है। यह इस बात का प्रमाण है कि पुस्तकें पढ़ी जा रही हैं। आपने कहानी के वैश्विक परिदृश्य का भी उल्लेख किया। कहानी संवाद में पढ़ी गई दोनों कहानियों के आलावा उन पर गई समीक्षा पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लेखकों को सलाह दी कि उन्हें कहानी लिखते समय चरित्रों का निर्माण बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए।”
मुख्य अतिथि विद्या सिंह जी ने अब्दुल गफ्फार की कहानी, ‘जन्मों का नाता’ की समीक्षा करते हुए कहा कि -
“कहानी कहना और सुनना मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है। कला समाज के लिए है। आप कहानी के पात्रों के दिल में उतारकर उन्हें महसूस कर समीक्षा कर रही थीं। आपने कहानी के तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि साहित्य की विधाएँ हमें और मनुष्य बनाती हैं।”
विशिष्ट अतिथि, डॉ ऋचा शर्मा ने मीनाधर पाठक की कहानी ‘पानी की लकीर’की विवेचना करते हुए कहा कि -
“ इस कहानी को सुनकर मुझे रहीम का दोहा याद आ गया।
"रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।"
इस कहानी का केंद्रीय भाव यही है। यह कहानी पर्यावरण संरक्षण पर भी बात करती है और जीवन में एक मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाती है। यह एक सामाजिक और प्रसंगिक कहानी है। इसमें दो पीढ़ियों की सोच का अंतर स्पष्ट दिखाई देता है।
कथा तत्वों के आधार पर यदि इसकी विवेचना की जाय तो इसमें पात्र बहुत सीमित हैं। भाषा सरल, सहज व स्वाभाविक है। कहानी का उद्देश्य पानी की बर्बादी को रोकना है।”
अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष शकुंतला मित्तल ने स्नेह सुधि शब्दों का प्रयोग करते हुए शब्द सुमन से सभी साहित्य सुधीजनों का स्वागत किया। कार्यक्रम का सञ्चालन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच के महासचिव मुज़फ्फर सिद्दीकी ने कहा कि- “कहानी संवाद, अब हमारे बीच संवाद का भी एक जरिया बन गया।”
अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की मीडिया प्रभारी रानी सुमिता ने सभी माननीय अतिथियों और दर्शकों का आत्मीय आभार व्यक्त करते हुए कहा कि - “पाठक है तो कलम की महत्ता है।”
कहानी संवाद के इस कार्यक्रम में देश-विदेश से अनेक साहित्यकार एवं पत्रकार अंत तक उपस्थित रहे।
- धन्यवाद।
- मुज़फ्फर सिद्दीकी