गजरौला। श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी लखनऊ के संयुक्त तत्वांधान में आयोजित बहुभाषी कवि सम्मेलन-2025 में कवियों ने विभिन्न भाषाओं की कविताएं सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया। गुरु हरिकिशन हॉस्पीटल बांग्ला साहिब नयी दिल्ली के अध्यक्ष सरदार भूपेन्द्र सिंह भुल्लर, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ. उमापति दीक्षित, उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के जन सम्पर्क अधिकारी अरविन्द नारायण मिश्र, गुरुकुल चोटीपुरा की प्राचार्या डॉ. सुमेधा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. परविन्दर कौर बेदी, ओज कवि डॉ. राहुल अवस्थी, डॉ. चेतन आनन्द, मनप्रीत टिवाणा, सुविख्यात कवयित्री डॉ. जसप्रीत कौर फलक समेत दिल्ली, भोपाल, चण्डीगढ, आगरा, बरेली, लखनऊ आदि जगहां से पधारे देश के एक दर्जन से अधिक कवियों-साहित्यकारो को शॉल, स्मृति चिह्न, तुलसी माला एवं रुद्राक्ष का पौधा भेंट कर गुरु गोविन्द सिंह शब्द सम्मान से सम्मानित किया। श्री वेंकटेश्वरा समूह के संस्थापक सुधीर गिरि ने इस अवसर पर कहा कि देश की तेजी से बढ़ती विकास यात्रा में भारत के विशाल एवं समृद्ध साहित्य की बड़ी अहम भूमिका है। श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी ने कहा कि रविन्द्रनाथ टैगोर, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद जैसे मूर्धन्य साहित्यकारों की रचनाएं केवल कविताएं या आलेख मात्र नहीं हैं बल्कि ये देश की दिशा एवं दशा तय करती हैं। जबकि डॉ. सुमेधा दीदी ने कहा कि शास्त्रों की क्रान्ति हमेशा शस्त्रों की क्रान्ति से विराट होती है। डॉ. राजीव त्यागी एवं सुप्रसिद्ध महाकवयित्री एवं संयोजक डॉ. मधु चतुर्वेदी उर्फ डॉ. परविन्दर कौर बेदी ने सभी अतिथियों एवं कवियों का सम्मान किया। सरस्वती वंदना के बाद सबसे पहले काव्य पाठ करने आयी पंजाब की विख्यात कवयित्री जसप्रीत कौर फलक ने कहा कि ’’इह धरती मुस्काई है, कि सावन आ गया लग्दा है। झडी बदलां ने लाई है, कि सावन आ गया लग्दा है’’। मंच का शानदार संचालन कर रहे ओज के कवि राहुल अवस्थी ने कहा कि ’’गुरू गोविन्द सिंह का गौरव, सिखों आप फिजूलो मत। हनी सिंह को याद करो, पर भगत सिंह को भूलो मत’’। सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। डॉ. परविन्दर कौर बेदी ने कहा कि ’’कुछ नाग महक दे बेहडे़ विच कुंडलिया मारे बैढे नी। कुछ फनिहर, पनिहर, बिसिहर, कुछ इच्छाधारी बैढे नी’’, सुनाकर आदमी की फितरत बयां की। विख्यात पंजाबी कवि एवं गायक मनप्रीत टिवाणा ने कहा कि ’’जिनां राहवां चौं तू आवें ओहना राहवां नू सलाम। तेरे शहर वल्लों औंदीयां हवावां नू सलाम’’। सुनाकर देशभक्ति के मौहाल से सरोबार कर दिया। ओज एवं प्रेम के कवि डॉ. चेतन आनन्द ने पढ़ा कि ’’मोहब्बत ने खोले अंधेरों के ताले, इधर भी उजाले, उधर भी उजाले, मुहब्बत से जिसने मुहब्बत ही सीखी, उसे नफरतों से पडे़गे न पाले’’, साथ ही पंजाबी कविताएं सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। वरिष्ठ साहित्यकार प्रेमवती उपाध्याय ने पढ़ा कि ’’आज तेरा सितारा गगन चूमता, विश्व करता तुझे हाथ जोड़कर नमन। क्या पता कल विभा साथ दे या ना दे, इन सितारों का कोई भरोसा नहीं’’, सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान भारत सरकार के अध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित ने कहा ’’हैरत है किसी हाथ में पत्थर भी नहीं है, महफूज मगर यहां कोई सर भी नहीं है’’। इस अवसर पर कुलसचिव पीयूष पाण्डेय, डीन एकेडमिक डॉ. राजेश सिंह, डॉ. सुमन कश्यप, डॉ. अंजलि भारद्वाज, डॉ. आरती गुप्ता, डॉ. विकास पाण्डेय, डॉ. दीक्षा, डॉ. टीपी सिंह, डॉ. राजवर्द्धन सिंह, डॉ. आशुतोष, डॉ. एसएन साहू, डाइरेक्टर लीगल देव प्रताप सिंह, डॉ. ओमप्रकाश गोसाई, डॉ. अश्वनी सक्सेना, डॉ. राम कुमार, डॉ. नीतू पंवार, डॉ. स्नेहलता, डॉ. अनिल जायसवाल, डॉ. योगेश्वर, मेरठ परिसर से डॉ. प्रताप, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।