नोएडा, 4 जून 2025 को ट्रू मीडिया और हँसता जीवन के संयुक्त तत्वावधान में प्रतिष्ठित साहित्यकार विनोद कुमार महाजन ‘सरल’ द्वारा रचित प्रेरणाप्रद पुस्तक ‘सरल’ संदेश का भव्य लोकार्पण समारोह नोएडा में अत्यंत गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन साहित्यिक जगत की एक स्मरणीय संध्या बनकर उभरा, जिसमें अनेक विद्वानों, साहित्यप्रेमियों और विशिष्ट व्यक्तियों की उपस्थिति रही। समारोह की अध्यक्षता डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति, संस्थापक व निदेशक, ट्रू मीडिया ग्रुप ने की। वे स्वयं साहित्य, मीडिया और समाज सेवा के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। कार्यक्रम में डॉ. कविता मल्होत्रा, डॉ. नीरजा मेहता, डॉ. गीतांजलि अरोड़ा, श्री यश मल्होत्रा, राजेन्द्र महाजन और अशोक कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके पश्चात डॉ. सूक्षम लता महाजन द्वारा माँ शारदा की वंदना प्रस्तुत की गई। उन्होंने कार्यक्रम की कुशल संचालिका की भूमिका निभाते हुए समारोह को सुव्यवस्थित एवं गरिमापूर्ण रूप से आगे बढ़ाया। ‘सरल’ संदेश पुस्तक को सभी अतिथियों ने अत्यंत सराहनीय और विचारोत्तेजक बताया। अपने-अपने उद्बोधन में वक्ताओं ने कहा कि यह पुस्तक न केवल गूढ़ विचारों से परिपूर्ण है, बल्कि जीवन की सच्चाइयों, संघर्षों और समाधान के लिए मार्गदर्शन देने वाली अमूल्य धरोहर है। इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का अक्षय स्रोत और दिशा देने वाला प्रकाश स्तंभ बताया गया। सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत - अंग वस्त्र, पुष्प-माला और पौधों के भेंट द्वारा उनका अभिनंदन किया गया। स्वागताध्यक्ष की भूमिका में ऊषा महाजन ने भावनापूर्ण आतिथ्य के साथ सभी का अभिनंदन किया।
इस अवसर पर महाजन परिवार की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम में आत्मीयता और पारिवारिक उल्लास का रंग घोल दिया। उपस्थित सदस्यों में सारंग महाजन, सुशांत महाजन, चेतना महाजन, शिवाली महाजन, शिखा महाजन, अतुल्य महाजन, अनन्या महाजन, किरण महाजन, आदित्य महाजन, राकेश महाजन, रीता महाजन, ईशान महाजन, रांघव, अननया, शिवांगी, सीरत और सानवी सहित पूरा कुटुम्ब समारोह का हिस्सा बना।‘सरल’ संदेश का यह लोकार्पण न केवल एक साहित्यिक कृति के जनसमक्ष आगमन का अवसर था, बल्कि यह मानव जीवन के गूढ़ सत्य, नैतिक मूल्य और प्रेरणा से युक्त विचारों का उत्सव भी बन गया। इस अवसर ने यह संदेश भी दिया कि जब लेखनी में संवेदना, अनुभूति और दिशा देने की शक्ति हो, तो वह समाज में परिवर्तन और चेतना का वाहक बन सकती है।