गाजियाबाद। हमारे देश के तीन महापुरुष सदैव हमारे वीर सैनिकों का आदर्श रहे हैं। ये हैं महाराणा प्रताप, श्री गुरु गोविन्द सिंह और छत्रपति शिवाजी। विषम परिस्थितियों में भी अडिग होकर खड़े रहने की प्रेरणा हमें इन तीनों से ही मिलती है। यह विचार मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने व्यक्त किये। वह वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में आयोजित महाराणा प्रताप जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1857 से लेकर आज तक इन तीन महापुरुषों से प्रेरणा लेकर ही क्रांतिकारियों और वीर सैनिकों ने अनेक युद्ध लड़े और जीत हासिल की। उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप की मां उनकी पहली शिक्षिका थीं, जिन्होंने महाराणा प्रताप को साहसी, बहादुर और निर्भीक बनाया। इसलिए आप भी बच्चों को कायर न बनाएं। उन्हें महापुरुषों की कहानियां सुनाएं। हमें अपने देश के लिए अच्छे नौजवान तैयार करने हैं।
उन्होंने कहा कि कलियुग में कोई भगवान अवतार नहीं लेने वाला, इन्हीं युवाओं में से ही कोई रणबांकुरा महाराणा प्रताप बनकर निकलेगा और देश की अस्मिता व अक्षुण्णता की शपथ लेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक देखें कि अब तक उन्होंने कितने नौजवानों को देश की रक्षार्थ तैयार किया। उन्होंने कहा कि आज नौजवानों को केवल सही दिशा देने की जरूरत है। डॉ. गदिया ने महाराणा प्रताप के जीवन की कहानी इस मार्मिक अंदाज में सुनाई कि श्रोताओं के जहन से हृदय तक शब्दचित्र उतरते चले गए। हल्दीघाटी का वर्णन अद्भुत था। उन्होंने महाराणा प्रताप को साहसी, एकता की मिसाल कायम करने वाला, अपने सिपहसालारों को रिश्तेदारों से भी अधिक चाहने वाला, शौर्यवान, धैर्यशील, फुर्तीला और विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाला बताया। उन्होंने बताया कि देश के लिए घास की रोटियां खा आदिवासियों के बीच रहकर अपने वतन के लिए संघर्ष करने वाला कोई विरला ही अब पैदा होगा। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये और महाराणा प्रताप को महान योद्धा और देश का प्रेरणापुंज बताया।
इससे पूर्व डॉ. गदिया और डॉ. अलका अग्रवाल ने महाराणा प्रताप, मां सरस्वती व भारत माता की प्रतिमाओं के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद पुष्प अर्पित कर अपनी भावांजलि दी। समारोह सरस्वती वंदना से शुरू हुआ। एकल गीत, सम्भाषण व कविताओं के जरिये प्राची एंड ग्रुप, शालिनी, तनु आदि विद्यार्थियों ने महाराणा प्रताप की शौर्यगाथा सुनाई। स्लोगन के जरिये उनके विचारों को प्रदर्शित किया। समारोह का संचालन तनु एवं अनिरुद्ध ने किया। इस मौके पर विभिन्न विभागों के प्रमुख, फैकल्टी स्टाफ, छात्र-छात्राएं आदि मौजूद थे।