दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा दिनांक 01 मई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर श्रमिकों का योगदान: आत्मनिर्भर भारत की नींव विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम डॉ. सुभाष चंद्र कानखेड़िया, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के मार्गदर्शन एवं अध्यक्षता में आयोजित किया गया । संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में श्री जे. पी. शर्मा, उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ एवं महासचिव, दिल्ली राज्य बैंक कर्मचारी महासंघ तथा वक्ता के रूप में श्री अशोक भारती, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशंस (नैकडोर) उपस्थित रहे ।
श्रीमती सुनीता टुटेजा, सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी ने प्रभावशाली और गरिमामयी ढंग से मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम का उद्देश्य और प्रेरणादायक संदेश को श्रोताओं को दिया ।
डॉ. सुभाष चंद्र कानखेड़िया ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रमिक आंदोलन की शुरुआत और भारत में मजदूर दिवस के इतिहास पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1936 में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना कर श्रमिकों को राजनीतिक आवाज दी और महिलाओं के अधिकार, कार्य समय और श्रमिक हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण पहल की।
श्री अशोक भारती ने भारत के मजदूर आंदोलन और वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने नारायण मेघाजी लोखंडे को ट्रेड यूनियन आंदोलन का जनक बताया जिन्होंने 1890 में बॉम्बे मिल हैंड्स एसोसिएशन की स्थापना के बाद श्रमिकों के लिए महत्वपूर्ण मांगें उठाईं थी । श्री अशोक भारती ने बाबासाहेब द्वारा 1936 में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना और श्रमिक हितों के लिए उनके योगदान को भी रेखांकित किया। वर्तमान में, उन्होंने श्रमिक आंदोलन के बदलाव और नई नीतियों, तकनीकी बदलावों की चुनौती का सामना करने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री जे. पी. शर्मा ने 1886 के शिकागो आंदोलन की चर्चा करते हुए बताया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है। वर्तमान में, उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्वचालन के प्रभाव से नौकरियों में कमी और मध्यम वर्ग पर प्रभाव की बात की। उन्होंने युवाओं से श्रमिकों के अधिकारों और विकास में उनकी भागीदारी पर गंभीर विचार करने की अपील की और चिंतन किया कि "क्या श्रमिक कभी विकास के साझीदार बनेंगे?"
कार्यक्रम के समापन पर, श्री राजेश दहिया, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी ने अध्यक्ष महोदय, अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आयोजन की सफलता में सभी के योगदान की सराहना की। इसके बाद, राष्ट्रगान के सामूहिक गायन के साथ कार्यक्रम को गरिमामयी ढंग से समाप्त किया गया।