दिल्ली। 27 अप्रैल को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में ट्रू मीडिया समूह और पर्पल पेन संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक गरिमामय समारोह में श्री अश्वनी कुमार के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित ट्रू मीडिया पत्रिका अप्रैल अंक का लोकार्पण बड़े धूमधाम से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर श्री मासूम ग़ाज़ियाबाद ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रामकिशोर उपाध्याय, सुश्री वसुधा 'कनुप्रिया' और श्री ओमप्रकाश प्रजापति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मंच संचालन कुशलतापूर्वक सुश्री सुषमा शैली ने किया, जिन्होंने अपने मधुर और प्रभावी अंदाज़ से पूरे समारोह को जीवंत बनाए रखा। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके उपरांत श्री अश्वनी कुमार ने मंचासीन अतिथियों का अंगवस्त्र, पुष्पमाला और डिजिटल कलम भेंट कर आत्मीय स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस अभिनंदन में भारतीय संस्कृति की गरिमा और साहित्यिक परंपरा का सुंदर समन्वय देखने को मिला। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, कवि एवं लेखक समुदाय के गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। विशेष रूप से सर्वश्री पूजा श्रीवास्तव, बबली सिन्हा वान्या, ओमप्रकाश शुक्ल, सूक्ष्म लता महाजन, राजिंद्र महाजन, संजय कुमार गिरि, मिलन सिंह, अशोक कुमार, सुषमा शैली, रजनी रामदेव, शारदा मदरा समेत अन्य साहित्य अनुरागियों ने अपनी उपस्थिति से समारोह को गरिमा प्रदान की। इन सभी साहित्य साधकों का भी श्री अश्वनी कुमार ने अंगवस्त्र और डिजिटल कलम भेंट कर सम्मान किया। अपने उद्बोधन में श्री मासूम ग़ाज़ियाबाद ने कहा कि अश्वनी कुमार न केवल एक संवेदनशील साहित्यकार हैं, बल्कि समाज को जोड़ने वाले सच्चे सेतु भी हैं। वहीं विशिष्ट अतिथियों ने ट्रू मीडिया पत्रिका के प्रकाशन की सराहना करते हुए इसे साहित्यिक जगत के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। समारोह के दौरान वक्ताओं ने श्री अश्वनी कुमार के रचनात्मक योगदान, सामाजिक सक्रियता और उनके व्यक्तित्व की विविधताओं पर प्रकाश डाला। उनके समर्पण, सहजता और साहित्य के प्रति अथक प्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना की गई।
अंत में, श्री अश्वनी कुमार ने सभी उपस्थित अतिथियों, साहित्यकारों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान उन्हें नई ऊर्जा और जिम्मेदारी के साथ साहित्य साधना के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा। समारोह न केवल एक पत्रिका के लोकार्पण का अवसर था, बल्कि साहित्यिक सौहार्द, प्रेम और संस्कृति के आदान-प्रदान का अद्भुत संगम भी रहा।