बरनाला, 24 फरवरी, 2025:- परम वंदनीय सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं सत्कार योग्य आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन आशीर्वाद से 23 फरवरी 2025 की स्वर्णिम प्रभात एक नवीन जागृति एवं सेवा के दिव्य प्रकाश का संदेश लेकर आई जिसके अंतर्गत ‘अमृत प्रोजेक्ट’ के ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन’ के तीसरे चरण का आयोजन विश्वभर में हुआ।
संत निरंकारी मंडल के सचिव एवं समाज कल्याण प्रभारी श्री जोगिंदर सुखीजा ने जानकारी देते हुए बताया कि देशभर में आयोजित हुई ‘अमृत प्रोजेक्ट’ परियोजना के दौरान सभी सुरक्षा मानकों का पूर्ण रूप से पालन किया गया। युवाओं की विशेष भागीदारी इस अभियान का प्रमुख आधार रही। उन्होंने यह भी सूचित किया कि यह मुहिम केवल एक दिन की नहीं, अपितु हर माह विभिन्न घाटों व जल स्रोतों की स्वच्छता के लिए निरंतर जारी रहेगी।
बरनाला ब्रांच के संयोजक जीवन गोयल ने बताया कि संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में, पूज्य बाबा हरदेव सिंह जी की अनंत शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए इस पवित्र अभियान का आयोजन किया गया। जिसके चलते बरनाला ब्रांच की ओर से बरनाला के ठीकरीवाला चौंक के पास रजवाहे की निरंकारी सेवादल द्वारा सफाई की गई साथ ही धनोला में दीपक ढाबे के पास कसी के आस पास की सफाई की गई।
उन्होंने बताया कि यह दृश्य केवल प्राकृतिक स्वच्छता तक सीमित न रहकर, अंतर्मन को निर्मल और पवित्र करने की एक आध्यात्मिक यात्रा का सुंदर प्रतीक बन गया। प्रत्येक श्रद्धालु की समर्पित उपस्थिति इस बात का प्रमाण थी कि जब प्रेम, सेवा और समरसता का दिव्य संगम होता है, तब प्रकृति भी नवजीवन का अनुभव करती है।
वहीं सतगुरु माता जी ने जल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए समझाया कि पानी अमृत समान है, जिसे प्रकृति ने हमें जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपहार के रूप में प्रदान किया है। इसकी स्वच्छता और संरक्षण केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारी स्वाभाविक आदत होनी चाहिए। हम अक्सर अनजाने में अपशिष्ट और गंदगी को जल स्रोतों या अन्य स्थानों पर डालकर प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं, जिससे पर्यावरण को हानि होती है। इसी चिंतन से प्रेरित होकर, ‘प्रोजेक्ट अमृत‘ जैसी सामाजिक पहल की शुरुआत की गई है, जो जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
बाबा हरदेव सिंह जी के जन्मदिवस को समर्पित इस पुनीत सेवा अभियान में हर संत को जल संरक्षण की दिशा में योगदान देने का अवसर मिला। यह पहल न केवल घाटों और जलस्रोतों की स्वच्छता पर केंद्रित थी, बल्कि घरों में छोटी-छोटी आदतों के माध्यम से जल बचत को भी प्रोत्साहित करती है जिससे जल का सम्मान हो और यह अमूल्य संसाधन आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।