(नईं दिल्ली) : दिल्ली/एनसीआर की अग्रणी साहित्यिक संस्था 'पर्पल पेन' द्वारा गणतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 'सलाम ऐ वतन' काव्य गोष्ठी का आयोजन गंधर्व स्टूडियो में किया गया। गणतंत्र, देश प्रेम, फौजियों, शाहीदों, देश भक्तों, को समर्पित एक से बढ़कर एक कविता का पाठ कविगण ने किया। गोष्ठी की अध्यक्षता गुरुग्राम से पधारे वरिष्ठ कवि एवं एयर पिस्टल शूटिंग चैंपियन श्री राजेंद्र निगम 'राज' ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवयित्री सुश्री इंदु 'राज' निगम का सानिध्य प्राप्त हुआ। पर्पल पेन की संस्थापक-अध्यक्ष सुश्री वसुधा कनुप्रिया के संयोजन में आयोजित इस गोष्ठी में देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं का पाठ कर कविगण ने अपनी काव्यांजलि समर्पित की।
'सलाम ऐ वतन' काव्य गोष्ठी का शुभारंभ मंचासीन अतिथिगण द्वारा भारत माता के पूजन से हुआ। सुश्री सुप्रिया सिंह वीणा ने सुन्दर, स्वरचित सरस्वती वंदना से माँ वीणापाणि को नमन किया। अध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि का अंगवस्त्र, पुष्प माला और उपहार भेंट कर वसुधा कनुप्रिया ने उनका अभिनंदन और सत्कार किया। तत्पश्चात सर्व श्री/सुश्री सुषमा शैली, मिलन सिंह मधुर, पुष्पा शर्मा, सुप्रिया सिंह वीणा, मनोज कामदेव, अनिल पाराशर मासूम, स्वाति गोयल, सीमा शर्मा मेरठी, और छत्र छाजेड़ फक्कड़ की देशभक्ति कवितायों से सदन गूंज उठा। श्री दिनेश गोस्वामी ने 'ऐ वतन हमको तेरी क़सम' गीत प्रस्तुत किया।
आयोजन अध्यक्ष श्री राजेंद्र निगम 'राज' ने सभी की कविताओं पर तुरंत कविता रच कर सुन्दर समीक्षा की। भारत के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हुए आपने अपने उद्गार कुछ यूँ व्यक्त किये --
"माथे पर हम तीन रंग का तिलक लगाएंगे
आज के शुभ दिन एक दिया हम और जलाएंगे
भारत माता के गौरव की गाथा गाएंगे"
विशिष्ट अतिथि सुश्री इंदु 'राज' निगम ने देश और तिरंगे की शान में ये खूबसूरत मुक्तक पढ़ा --
"गीत सदा आज़ादी के हम गाते जाएंगे
देश पे मर मिटने की कसमें खाते जाएंगे
आँसू सबके पोछेंगे, मुस्कानें बांटेंगे
संग तिरंगे के हम भी लहराते जाएंगे"
गणतंत्र दिवस पर वसुधा 'कनुप्रिया' से बेहतरीन अशआर पेश किये --
जम्हूरियत का जश्न है हंस कर मनाएं हम,
हर एकता की रस्म को मिल कर निभायें हम (1)
दुश्मन कभी जो देख ले रख कर बुरी नज़र
ब्रह्मोस पृथ्वी अग्नि से उसको उड़ाएं हम। (2)
"घूम आए चीन लंदन टोक्यो जापान तक
कुछ ना भाया हिंद की आबो हवा के सामने।" -- देश विदेश घूम कर भी यह पाया कि अपना देश सबसे सुन्दर है, एक गीत के माध्यम से सुप्रिया सिंह 'वीणा' ने बताया।
"हिम शिखरों पर लिखा हुआ है,
अब भी वीरों का बलिदान।
जन गण मन की जय जय बोलें,
जय बोलें जय हिन्दुस्तान।" -- अमर जवान को श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए सुश्री मिलन सिंह 'मधुर' ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर स्वाति गोयल ने एक मुक्तक पढ़ा और फिर देश प्रेम पर एक कविता का भी पाठ किया। सुश्री सीमा शर्मा मेरठी, श्री अनिल मासूम, श्री छत्र छाजेड़ फक्कड़ ने भी बेहतरीन गीत, ग़ज़ल, दोहे, पढ़कर समां बांध दिया। सुश्री पुष्पा शर्मा ने गणतंत्र दिवस पर भोजपुरी में लिखा अपना गीत प्रस्तुत किया।
सुश्री गुंजन अग्रवाल अनहद ने अपनी रचना के माध्यम से आह्वान किया --
"हो न कठपुतली न केवल वोट वाला यंत्र हो।
आदमी हो आदमी सद्भाव इसका मंत्र हो।
गूंज वन्दे मातरम की गूंजती हर पल रहे-
तब सफल सच मायनों में ये दिवस गणतंत्र हो।"
"जीवन के हर मोड़ पर, जीतोगे तुम जंग
अगर विचारों की यहॉं, गली नहीं हो तंग।" -- श्री मनोज कामदेव ने ये सार्थक दोहा पढ़ा।
गोष्ठी के आरम्भ में वसुधा 'कनुप्रिया' ने पर्पल पेन की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्था साहित्य के साथ-साथ लोक कलाओं के संवर्धन और समाज सेवा के भी प्रकल्पों से जुड़ी है और लगातार नौ वर्ष से प्रयासरत है कि समाज के वंचित वर्ग को शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सेवाओं का लाभ दे सके।
कार्यक्रम का सुरुचिपूर्ण सञ्चालन सुश्री सुषमा शैली ने किया। वसुधा 'कनुप्रिया' ने गोष्ठी के समापन पर धन्यवाद ज्ञापित किया।
रिपोर्ट -- वसुधा 'कनुप्रिया'