विगत शुक्रवार,29 नवम्बर को मयूर विहार, दिल्ली स्थित रिवर साइड क्लब में डॉ संजीव कुमार द्वारा लिखित व्यंग्य विधा की एक ज़रूरी पुस्तक "व्यंग्य का व्याकरण" का लोकार्पण हुआ। इस पुस्तक में डॉ. संजीव कुमार ने व्यंग्य के सिद्धांतों पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला है।
पुस्तक का लोकार्पण वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजय, डॉ श्रवण कुमार उमर्लिया, रणविजय राव एवं ओंकारनाथ अग्रवाल की उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर सुशील चौधरी, प्रवीण कुमार अग्रवाल, मनमोहन बजाज, डॉ. मनोरमा, संजय मिश्र, कामिनी, एल आर मदान, मनीषा चौगाँवकर एवं देवेन्द्र रस्तोगी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा कि व्यंग्य लिखने के लिए व्यंग्य का व्याकरण जानना व पढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि व्यंग्य के सिद्धांतों का संकलन, परिकल्पना एवं संयोजन एक दुरुह कार्य है जिसे डॉ. संजीव कुमार ने कर दिखाया है। यह पुस्तक व्यंग्य साहित्य के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
वरिष्ठ उद्योगपति ओंकारनाथ अग्रवाल ने डॉ. संजीव कुमार के विशद मात्रा में पुस्तकों लिखने पर बधाई दी। डॉ उमर्लिया ने व्यंग्य के संसार में व्यंग्य के व्याकरण जैसी रचना करके डा संजीव ने आनेवाली पीढ़ियों के लिऐ व्यंग्य लेखन को व्यावहारिक बना दिया है। उन्होंने
डॉ संजीव की इस पुस्तक को अनुपम व बहुपयोगी पुस्तक बताया और अपनी शुभकामनाएं दी।
डॉ रणविजय राव ने कहा कि “व्यंग्य का व्याकरण” 248 पृष्ठों में निबद्ध है और व्यंग्य के प्रायः सभी पक्षों पर विवेचनात्मक विश्लेषण किया गया है। डॉ संजीव कुमार ने व्यंग्य साहित्य में लम्बे समय से महसूस की जा रही इस कमी को पूरी कर दी है। नवोदित व्यंग्यकारों को इसका लाभ अवश्य मिलेगा।
सभी उपस्थित अतिथियों ने इस महत्वपूर्ण पुस्तक के लिए डॉ संजीव जी को बधाई दी। सभी लोगों ने इस पुस्तक को अद्भुत कहा और इस कार्य के लिए शुभकामनाएं दी ।
अंत में डॉ मनोरमा ने सभी को धन्यवाद दिया एवं आभार व्यक्त किया।
प्रकाशक: इंडिया नेटबुक्स
मो. 9810066431
मूल्य: 350/-
पृष्ठ: 248