पी.जी.डी.ए.वी. (सांध्य) महाविद्यालय तथा दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी के संयुक्त सहयोग से दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्य) में हिन्दी पखवाड़ा 2024 के अवसर पर "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: हिन्दी भाषा की स्थिति, बहुभाषिकता, तकनीक, रोजगार के अवसर" विषय पर प्रो. संध्या सिंह, प्रोफेसर एन.सी.ई.आर.टी. की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कॉलेज एक प्राचार्य रवींद्र कुमार गुप्ता ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि कि किसी भी राष्ट्र की भाषाएँ उसकी पहचान होती हैं। शिक्षा के द्वारा ही इन भाषाओं के माध्यम से हम उस पहचान को बनाए रख सकते हैं। उन्होंने या भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिन्दी भाषा की स्थिति, बहुभाषिकता, तकनीक और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए महाविद्यालय में जल्दी ही डिप्लोमा तथा प्रमाणपत्र आधारित पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे, जो हिन्दी के लिए एक कदम आगे होगा।
इस अवसर पर हिंदी अकादमी के उपसचिव श्री ऋषि कुमार ने संगोष्ठी के उद्देश्य को स्थापित करते हुए कहा कि हिन्दी अकादमी के सभी आयोजनों के केंद्र में एक ही बिंदु है कि हिन्दी भाषा का विकास किस रूप में हो? इसलिए सभी लोगों को नाटक, रंगमंच इत्यादि जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। उन्होंने हिंदी वर्तनी की अशुद्धियों पर भी गंभीरता से विमर्श करने के लिए बल दिया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद प्रो. हरीश अरोड़ा ने 1986 की शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए कहा कि उसमें भारतीय भाषाओं में शिक्षा के प्रसार पर उचित प्रकार से ध्यान नहीं दिया गया, परंतु शिक्षा नीति 2020 में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की अपनी शिक्षा प्रणाली में भारत का बोध होना आवश्यक है। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता दी गई। उनके अनुसार मातृभाषा में शिक्षा मिलने से व्यक्ति अपनी क्षेत्रीय संस्कृति व गौरव का विकास व संरक्षण कर सकता है। पुरानी शिक्षा नीति केवल 'पढ़ना क्या है?' पर बल देती थी, परंतु नई शिक्षा नीति व्यक्ति के सांस्कृतिक, सामाजिक व शैक्षणिक यानि संपूर्ण विकास पर बल देती है। उन्होंने यह अनेक उदाहरणों से स्पष्ट किया कि जिन राष्ट्रों ने अपनी शिक्षा में अपनी मातृभाषा आधार बनाया उन सभी राष्ट्रों ने तेजी से विकास किया। उनका मानना था कि केवल डिग्रियां बांटना शिक्षा नीति का लक्ष्य नहीं होने चाहिए बल्कि शिक्षा द्वारा व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण हो सके यह उसका लक्ष्य हो।
कार्यक्रम के आरंभ में इस विषय पर अपने विचार रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने नई शिक्षा नीति को भारतीय भाषाओं के विकास एवं संवर्धन के लिए उत्कृष्ट माना। उन्होंने कहा कि इस नीति की सहायता से शिक्षा का भारतीयकरण संभव हो सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में भी शिक्षा नीति में परिवर्तन किए गए थे, परन्तु परिकल्पित लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाई। वर्तमान में देखा जा रहा है कि भारतीय शिक्षा नीति 2020 तीव्रता से अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर है। बहुत से संस्थानों जैसे पटना के इंजीनियरिंग कॉलेज और मध्यप्रदेश में चिकित्सा शिक्षा का अध्ययन हिन्दी भाषा में शुरू हो चुका है। उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए कहा कि वे अपनी सफलता का कारण अपनी मातृभाषा को मानते थे।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए शिक्षाविद डॉ. पुनीत चाँदला ने कहा कि सूचना एकत्रीकरण ही शिक्षा के लिए आवश्यक नहीं, व्यक्ति के व्यक्तित्व का आधारभूत विकास करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य होता है, जो कि केवल मातृभाषा से ही संभव है। उनका मानना था कि हिन्दी में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी, शिक्षाविद और हिन्दी अकादमी की सदस्य श्रीमती कौमुदी शर्मा ने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा नीति, जो गुरुकुल के समय में थी, को देखकर अंग्रेजों ने व्यवहारिक शिक्षा अपनाई थी। आज के युग में सर्वाधिक नौकरियों वाला क्षेत्र अनुवाद का क्षेत्र है। जब तक हम अपनी हिंदी मातृभाषा नहीं सीखेंगे, हम उन्नति नहीं कर सकते। हमें अपनी भाषा की ओर वापस जाना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रतिष्ठित लेखिका एवं शिक्षाविद प्रो. संध्या सिंह ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए हिंदी के प्रयोग के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा नीति के दो बिंदुओं मातृभाषा और बहुभाषिकता की ओर ध्यान आकर्षित किया और हिंदी भाषा को समृद्ध करने पर बल दिया। उन्होंने वर्तमान तकनीकी के युग में हिन्दी में रोजगार की संभावनाओं के संबंध में विचार रखते हुए कहा कि इस दिशा में तकनीकी ने हिन्दी में रोजगार के नए क्षेत्रों को खोल दिया है।
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी साहित्य सभा के संयोजक डॉ. पवन कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आशा रानी ने किया। कार्यक्रम में हिंदी अकादमी, दिल्ली (कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग, दिल्ली सरकार) के कर्मचारियों के साथ पी.जी.डी.ए.वी. (सांध्य) महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।