‘किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रभाषा उसकी अस्मिता का एक प्रमुख आधा होती है। भारत में संवैधानिक रूप से भले ही हिन्दी राष्ट्रभाषा न हो, लेकिन व्यवहार और लोकप्रियता की दृष्टि से हिन्दी अघोषित रूप से राष्ट्रभाषा है।’ ये विचार प्रो. हरीश अरोड़ा द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय (सांध्य) द्वारा राजभाषा पखवाड़े के अवसर पर ‘दिल्ली पोएट्री क्लब’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मेलन के आयोजन के अवसर पर कहे। उन्होंने कहा कि बहुभाषी होने के बावजूद भी हिन्दी भारत राष्ट्र की अस्मिता का प्रतिमान है। इसके द्वारा विश्व में उसकी पहचान स्थापित होती है।
कार्यक्रम का आरंभ माँ शारदे की वंदना और पूजा से आरंभ हुआ। इसके पश्चात देश के सुप्रसिद्ध युवा कवियों ने अपनी रचनाओं से समाँ बांध दिया। कविता के मंचों के साथ-साथ सोशल मीडिया की दुनिया में चर्चित इन युवा कवियों में राहुल जैन, ऋषभ शर्मा, कुशल दोनोरिया, धर्मवीर धर्म, पुनीत पांचाल, विष्णु विराट, प्रदीप 'तथास्तु' त्रिपाठी और मोहिनी राय के सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ शृंगार, राष्ट्र चेतना जैसे विषयों पर काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन युवा कवि धर्मवीर 'धर्म' ने किया।
कॉलेज के ओर से आमंत्रित सभी कवियों को प्रतीक चिह्न और पुस्तक भेंट का उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन रजनीश शुक्ला ने ओर धन्यवाद ज्ञापन अनुभूति साहित्यिक समिति और हिंदी साहित्य सभा के संयोजक डॉ. पवन कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में साहित्यिक समिति कलांजलि की संयोजिका श्रीमती उदिता अग्रवाल, राजभाषा कार्यान्वयन समिति की संयोजिका डॉ. डिम्पल गुप्ता, फीनिक्स बी.ए. प्रोग्राम समिति के संयोजक डॉ. आनंद कुमार और अनुभूति साहित्यिक समिति की सह-संयोजिका श्रीमती रिमी जैन के साथ ही डॉ. राजकुमारी पाण्डेय, विकास शर्मा, करिश्मा सारस्वत तथा विद्यार्थियों की उपस्थिति प्रमुख रही। इस अवसर पर कॉलेज की एनसीसी के कडेट्स ने अपना विशेष सहयोग प्रदान किया।