दिल्ली विकास मिश्र
आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय, दिल्ली। विश्वविद्यालय नया कानून केवल दंडात्मक उपायों के बजाय न्याय देने पर केन्द्रित है इससे त्वरित न्याय और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज ने एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाले आपराधिक कानून में आगामी परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया। सत्र में तीन परिवर्तनकारी कानूनों पर ध्यान केंद्रित किया गया: भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023, जो औपनिवेशिक युग के कानूनों से अलग हैं।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पुरातन भारतीय दंड संहिता 1860 का स्थान लेगी, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) दंड प्रक्रिया संहिता 1973 का स्थान लेगी। इसके अतिरिक्त, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसबी) लागू होगा।इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस के विभिन्न कॉलेजों के लगभग 250 शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज प्रोफेसर डॉ बलराम पाणि और विशिष्ट वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि केंद्र की प्रोफेसर प्रोफेसर वागेश्वरी देसवाल,उपस्थित रहीं।इस अवसर पर एआरएसडी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर ज्ञानतोष कुमार झा ने आईक्यूएसी समन्वयक प्रोफेसर डॉ विनीता तुली के साथ गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन किया।अपने स्वागत भाषण में प्राचार्य प्रोफेसर ज्ञानतोष कुमार झा ने कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया, जिसके बाद प्रोफेसर डॉ. बलराम पाणि ने उद्घाटन भाषण दिया, जिसमें परिवर्तनकारी नए कानूनों के व्यापक निहितार्थों पर प्रकाश डाला गया।प्रोफेसर वागेश्वरी देसवाल ने कानून के मूल सिद्धांतों को स्पष्ट किया कि नये कानून में केवल दंडात्मक उपायों के बजाय न्याय देने पर विशेष बल है । उन्होंने कानून प्रवर्तन द्वारा कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के उपायों, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए ई-एफआईआर की शुरूआत और मुकदमों में तेजी लाने और न्यायिक दक्षता को बढ़ाने की पहल सहित प्रमुख सुधारों पर प्रकाश डाला।
उल्लेखनीय सुधारों में विशेष परिस्थितियों में पहली बार अपराध करने वालों के लिए कम हिरासत अवधि के माध्यम से जेलों में भीड़भाड़ को कम करने के प्रावधान शामिल हैं और जमानत मांगने वाले अभियुक्तों और विचाराधीन कैदियों के लिए जेल अधीक्षकों द्वारा सशक्त कानूनी सहायता को बढ़ाया गया है। नया कानून अपराध स्थल की जांच से लेकर मुकदमे की कार्यवाही तक पूरी आपराधिक न्याय प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी एकीकरण, न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करता है, जिससे त्वरित न्याय और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।सत्र का समापन दर्शकों के साथ एक रोचक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसके बाद आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की समन्वयक प्रोफेसर डॉ. विनीता तुली ने धन्यवाद ज्ञापन किया । कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के गायन के साथ हुआ ।