काईट ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स, दिल्ली एनसीआर, गाज़ियाबाद, में एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक एआई के साथ शैक्षणिक एवं अनुसंधान अखंडता था | इस कार्यक्रम में, जेम्स थोर्ले, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, टर्निटिन, एपीएसी, यूनाइटेड किंगडम, पूर्णा बोस ( वरिष्ठ समाधान इंजीनियर, टर्निटिन) , मनीषा शिवपुरी (प्रबंधक, टर्निटिन), डॉ. सुमित नरूला (निदेशक, एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन), डॉ. प्रसून त्रिपाठी (निदेशक, आईएमएस गाजियाबाद), प्रोफेसर (डॉ.) मुनीश सभरवाल, (कार्यकारी निदेशक, आईआईएलएम यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा), काईट के रिसर्च फैकल्टी मेंबर्स, स्टूडेंट्स , एवं देश विदेश के अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे| इस कार्यक्रम की शुरुवात माननीय डॉ. मनोज गोयल (संयुक्त निदेशक, काईट ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स) के सम्भाषण से हुई|
डॉ. मनोज गोयल ने एकेडेमिक और रिसर्च इंटीग्रिटी विथ एआई कार्यक्रम में अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि अकादमिक समुदाय एआई तकनीकों के समावेशन के साथ एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। उन्होंने विशेषज्ञों और प्रतिभागियों के सम्मानित पैनल का स्वागत किया, एवं जोर देते हुए कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य एआई की अकादमिक और अनुसंधान अखंडता में भूमिका को गहराई से समझना है। डॉ. गोयल ने एआई द्वारा उत्पन्न नैतिक चुनौतियों को संबोधित करने के लिए संस्थानों और अनुशासनों के बीच सहयोग की महत्वता पर प्रकाश डाला। काईट ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स के प्रभारी निदेशक डॉ. अनिल अहलावत ने अनुसंधान पद्धतियों पर एआई के नैतिक विचारों और प्रभावों पर जोर दिया और अकादमिक अखंडता को बढ़ाने वाले मजबूत ढांचे की वकालत की। डॉ. शैलेश तिवारी (अतिरिक्त निदेशक, काईट) ने शैक्षणिक संस्थानों की उस महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया जो शैक्षिक मानकों को बनाए रखने हेतु जिम्मेदारी से एआई का समावेश करती है। उन्होंने शैक्षिक अनुभव को बढ़ाने के लिए एआई अनुप्रयोगों में निरंतर नवाचार एवं नैतिक मानकों की वकालत की| इस बीच डॉ. विभव कुमार सचान (डीन आर एंड डी) ने डेटा गोपनीयता और सूचना के नैतिक प्रबंधन के महत्व पर जोर देते हुए लर्निंग को निजीकृत करने और छात्र जुड़ाव में सुधार करने में एआई की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों ने पारदर्शिता बनाए रखने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए शैक्षिक और अनुसंधान सेटिंग्स के भीतर एआई उपकरणों को जिम्मेदारी से अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
एकेडेमिक और रिसर्च इंटीग्रिटी विथ एआई कार्यक्रम में, मिस पूर्णा बोस, वरिष्ठ समाधान इंजीनियर, टर्निटिन ने अकादमिक अखंडता को बनाए रखने में उनके एआई लेखन पता लगाने के उपकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे ये उपकरण मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का उपयोग करके मानव और एआई-निर्मित सामग्री के बीच अंतर करते हैं, पैटर्न पहचान और भाषा की गहराई पर ध्यान केंद्रित करते हैं। मिस बोस ने टर्निटिन की समानता रिपोर्ट में एआई लेखन संकेत सुविधा की कार्यक्षमता पर प्रकाश डाला, जो समग्र समानता स्कोर को प्रभावित किए बिना एआई- निर्मित सामग्री का प्रतिशत दिखाकर अतिरिक्त जांच की परत प्रदान करती है। यह उन्नत उपकरण डिजिटल जानकारी और एआई विकास के विकसित हो रहे परिदृश्य के अनुकूल शैक्षणिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने की टर्निटिन की व्यापक प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
इस कार्यक्रम के योजनाकर्ताओं में डॉ. विभव कुमार सचान (डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट), डॉ. रुचिता गौतम (एसोसिएट डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट), डॉ. परवीन कुमार कौशिक (असिस्टेंट डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट), एवं अन्य रिसर्च एंड डेवलपमेंट के अन्य सदस्यों रहे।