दिल्ली विकास मिश्र
आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय(दिल्ली विश्वविद्यालय) कॉलेज की नाट्य समिति रंगायन ने हिंदी के शीर्ष रंग आलोचक डॉ जयदेव तनेजा के सम्मान में नौवां “रंगशीर्ष जयदेव फेस्टिवल” का आयोजन श्रीराम सेंटर, मंडी हाउस में किया डॉ. जयदेव तनेजा हिंदी नट्यालोचना के शीर्ष आलोचक हैं और वे इस महाविद्यालय से सेवानिवृत्त हैं। रंग समीक्षा की जिस परम्परा की शुरुआत डॉ नेमीचन्द्र जैन ने की थी, डॉ. तनेजा ने अपनी आलोचनात्मक कृतियों के द्वारा उसका निरंतर विकास किया | वे हिंदी नाटक और रंगमंच के अकेले प्रेक्षक-आलोचक हैं जिसने लगभग चालीस वर्षों तक नाट्य-प्रस्तुतियाँ देखी और उन पर लगातार अपनी कलम चलायी है।ए.आर.एस. डी. कॉलेज नाट्य समिति रंगायन के बीस वर्ष कि यात्रा के उपलक्ष्य में ‘रंगशीर्ष जयदेव नाट्योत्सव’ का आयोजन कर पिछले नौ वर्षों से विश्वविद्यालयी रंगकर्म को एक नयी दिशा दे रहा है| दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी कॉलेज के द्वारा आयोजित किया जानेवाला यह अकेला नाट्योत्सव है।कार्यक्रम में आए अतिथियों का स्वागत करते हुए कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि महाविद्यालय अपने छात्रों के समग्र विकास के प्रति प्रतिबद्ध है।अपने वर्त्तमान और पूर्व छात्रों के सहयोग से इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों को निरंतर प्रोत्साहित करता रहेगा। उन्होंने ‘रंगायन’ की स्थापना और उसके बीस वर्षों की लंबी-यात्रा और उपलब्धियों को सामने रखा और कहा कि प्रशिक्षण और प्रस्तुति केंद्रित रंग प्रशिक्षण के द्वारा हम अपने विद्यार्थियों को कौशलपूर्ण शिक्षा देने का प्रयास करते हैं जो नयी शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण संकल्पनाओं में से एक है। रंगायन की स्थापना तथा उसमे डॉ. जयदेव तनेजा की भूमिका की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि रंगायन आज जहाँ जिस मुकाम पर पहुंचा है डॉ. जयदेव तनेजा के बिना उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।यह सम्पूर्ण नाट्योत्सव उन्ही के सम्मान में आयोजित है।रंगायन समिति तथा आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज इस बात के लिए उनका सतत आभारी रहेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर दिनेश सिंह ने कालेज के एलुमनाई छात्रों की प्रस्तुति व प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि आज के प्रदर्शन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ए.आर.एस.डी. कॉलेज की रंग समिति ने विश्वविद्यालयी नाट्य प्रदर्शन को एक नयी ऊंचाई प्रदान की।इस तरह के प्रदर्शन हम सबको आत्मिक शुद्धिकरण का अवसर देते हैं।यह सच है कि एक पारदर्शी और संवेदनशील समाज बनाने के लिए महाविद्यालयों में इस तरह की कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों को निरंतर बढ़ावा देना चाहिए।मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आत्माराम सनातन धर्म महाविद्यालय इस सन्दर्भ में कुछ नये उदाहरण प्रस्तुत करेगा और कौशलपूर्ण शिक्षा के मामले में अखिल भारतीय स्तर पर नेतृत्व करेगा।'रंगायन’ के पंद्रह वर्षों का यह शानदार सफ़र इस महाविद्यालय की सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रतिमान है। रंगायन इस बात का भी उदहारण प्रस्तुत करती है शिक्षा का सम्बन्ध सिर्फ बने बनाए सिलेबस से न होकर कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों से भी है।इस क्षेत्र में ए.आर.एस.डी. कॉलेज ने एक नया मुकाम हासिल किया है और विश्वविद्यालयी शिक्षा जगत के लिए एक अलग आदर्श स्थापित किया है जो नई शिक्षा के संकल्पों के अनुरूप है |
रंगशीर्ष जयदेव ने अपने वक्तव्य में आज के रंगकर्म के प्रति गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा जगत में ही नहीं बल्कि शिक्षा के हरेक पहलू में रंगकर्म को जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह न सिर्फ मनोरंजन के माध्यम से नयी नागरिकता का विकास करता है,बल्कि व्यावसायिक कौशल के माध्यम से रोजगार के दरवाजे भी खोलता है।नयी पीढ़ी के रंगकर्मियों को इस तरह का प्रशिक्षण देकर नाटक में ‘मौन’ को फिर से स्थापित करने की ज़रूरत है जो कि दर्शक को सोचने का स्पेस देता है।
इस नाट्योत्सव के अंतर्गत 29,30 और 31 जनवरी को क्रमशः 'अम्बपाली ',(लेखक-रामवृक्ष बेनीपुरी , निर्देशक- रवि तनेजा ) 'एक घोड़ा छह सवार '( लेखक- रंजीत कपूर ,निर्देशक-वशिष्ट अपध्याय) तथा 'महाभोज ' (लेखिका- मन्नू भंडारी , निर्देशक- सुमन कुमार )नाटकों का मंचन,श्रीराम सेंटर ऑडिटोरियम, मंडी हाउस में किया गया। छात्रों ने अपने प्रदर्शन से उपस्थित दर्शकों और आमन्त्रित अतिथियों का मन मोह लिया। ए. आर. एस. डी कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं द्वारा की गई प्रस्तुति को विद्वान लेखको, निर्देशकों और काला प्रेमियों की सराहना मिली और युवा पीढ़ी तक स्नातक स्तर पर कला और संस्कृति खाशकर नाटक के प्रति इतनी गहरी अभिरुचि पैदा करने के लिये कॉलेज के प्राचार्य ज्ञानतोष कुमार झा की सबने प्रशंसा की। तीनों नाटकों के माध्यम से छात्रों ने भारतीय सामाजिक जीवन की समस्याओं को मंच पर उसकी संपूर्णता में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जो सफल रहा। इस अवसर पर प्रोफेसर ज्ञानतोष कुमार झा द्वारा सम्पादित पुस्तक 'जगदीशचंद्र माथुर रंग परिदृश्य’ और एक स्मारिका 'रंगायन रंगयात्रा के दो दशक' का विमोचन किया गया।
नाट्योत्सव के अंतर्गत 1 और 2 फरवरी को स्टेज प्ले और नुक्कड़ प्रतियोगिता के अंतिम चरण का आयोजन हुआ।स्टेज प्ले प्रतियोगिता में में प्लेयर नाट्य समूह किरोड़ीमल महाविद्यालय, नटुवे नाट्य समूह शहीद भगत सिंह महाविद्यालय तथा प्रतिबिम्ब नाट्य समूह दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। स्ट्रीट प्ले प्रतियोगिता में क्षितिज नाट्य समूह गार्गी महाविद्यालय, अनुकृति नाट्य समूह मिरांडा हाउस महाविद्यालय तथा मोक्ष नाट्य समूह श्री अरविंदो महाविद्यालय ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में 50 से अधिक महाविद्यालय के नाट्य समूहों ने भाग लिया। दोनों प्रतियोगिता के प्रथम चरण का आयोजन क्रमशः 23 और 24 जनवरी किया गया था। रंगायन नाट्य समिति की संयोजिका प्रोफेसर विनीता तुली के नेतृत्व में सात दिवसीय रंगशीर्ष जयदेव नाट्योत्सव के सफल आयोजन ने दिल्ली विश्वविद्यालय की रंगमंचीय गतिविधियों को एक नई ऊंचाई प्रदान की।