दिल्ली-एनसीआर गाज़ियाबाद में स्थित काइट ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स में आज एमसीए विभाग द्वारा स्कोपस इंडेक्स दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस आरएसीटीई-2023 का शुभारम्भ किया गया। कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में डॉ. सुशील चंद्रा (डीन ऋषिहुड विश्वविद्यालय सोनीपत एवं पूर्व वैज्ञानिक 'जी' डीआरडीओ), डॉ. राजेंद्र गेड (प्रोफेसर, गोवा विश्वविद्यालय), डॉ. अनिल अहलावत (निदेशक प्रभारी, काइट), डॉ. मनोज गोयल (संयुक्त निदेशक, काइट), डॉ. शैलेश तिवारी (अपर निदेशक, काइट), डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी (एमसीए विभागाध्यक्ष, काइट), डॉ. अमित कुमार गुप्ता (जनरल चेयर), डॉ. आकाश रजक (कांफ्रेंस चेयर) आदि सम्मलित रहे।
डॉ. अनिल अहलावत ने कांफ्रेंस में प्रतिभागी शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि इस कांफ्रेंस के परिणामस्वरूप हमें विभिन्न क्षेत्रो में नवाचार एवं इंडस्ट्री में होने वाले नित नए परिवर्तन के बारे में जानने को मिलेगा। संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ मनोज गोयल ने अपने उदबोधन में कहा कि यह कांफ्रेंस वास्तव में विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ताओं के नवाचारों एवं शोध को जाने समझने का एक उत्तम प्रयास है। छात्रों को अपने शोध कौशल को बढ़ाना चाहिए ताकि वे हमारे देश के विकास में भाग ले सकें। एमसीए विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने सभी अतिथियों और शोधकर्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस कांफ्रेंस के माध्यम से शोधकर्ताओं को अपने में नवाचार शोधन को महत्व मिलेगा।
कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि डॉ. सुशील चंद्रा ने अपने ऑनलाइन सम्बोधन में कहा की युवा पीढ़ी को नवाचार को अपनी सोच का हिस्सा बनाना चाहिए, और पिछले शोध को अपने शोध की नींव बना कर काम करना चाहिए। कॉग्निटिव साइंस के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कॉग्निटिव साइंस मानव मन और मस्तिष्क का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह जांच करता है कि किसी का मस्तिष्क कैसे काम करता है कैसे व्यवहार करता है। इसमें अनेक विषय जैसे भाषा विज्ञान, मनोविज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, दर्शनशास्त्र, कंप्यूटर विज्ञान, आर्टिफीसियल इंटेलिजेन्स आदि शामिल होते हैं जो अपने आप इसकी भविष्य में उपयोगिता को प्रदर्शित करते हैं।
डॉ. राजेंद्र गेड (प्रोफेसर, गोवा विश्वविद्यालय) ने प्रतिभागियों को ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (बीसीआई) के बारे में जागरूक करते हुए बताया कि बीसीआई एक कंप्यूटर-आधारित प्रणाली है जो मस्तिष्क के संकेतों को प्राप्त करती है, उनका विश्लेषण करती है, और उन्हें कमांड में अनुवादित करती है जो वांछित कार्रवाई को पूरा करने के लिए आउटपुट डिवाइस पर रिले की जाती है। यह लोगों को अपने विचारों का उपयोग करके मशीनों को नियंत्रित कराता है। ये इंटरफ़ेस विकलांग लोगों की मदद करने के साथ-साथ मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन को भी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा की इस क्षेत्र में शोध की अपार संभावनाएं हैं।
डॉ. आकाश रजक (कांफ्रेंस चेयर) ने कांफ्रेंस रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि कांफ्रेंस में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों द्वारा शोधपत्र प्रस्तुत किए जायेंगे जिनमे से मुख्यतः जापान, उज्बेकिस्तान, सऊदी अरब देशों के साथ लगभग पूरे भारत से सहभागिता है। कुल 87 शोधपत्र प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 36 शोधपत्र प्रस्तुतिकरण के लिए विशेषज्ञों द्वारा चुने गए। इन पत्रों को चार तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किया जायेगा, जिनकी अध्यक्षता विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों के प्रख्यात शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं द्वारा किया जायेगा। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. प्रशांत पी. पीतलिया (प्रोफेसर, सरदार पटेल विश्वविद्यालय) ने की, द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. रफत परवीन (प्रोफेसर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने की। अगले दिन भी दो अलग अलग सत्र होंगे जिनकी अध्यक्षता डॉ. आलोक सिंह चौहान (गलगोटियास यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा) और डॉ. देवप्रिया सोनी (प्रोफेसर, जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) द्वारा की जाएगी।
प्रोफेसर रबी नारायण पांडा (टेक्निकल चेयर एवं एडिशनल हेड एमसीए काइट) ने सभी अतिथियों, शोधकर्ताओं एवं कांफ्रेंस की टीम के सदस्यों को धन्यवाद दिया और कांफ्रेंस की सफलता की कामना की । कांफ्रेंस में डीन, सभी विभागों के प्रमुख, फैकल्टी सदस्य और एमसीए विभाग के छात्र, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।