दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा संविधान दिवस (26 नवम्बर 2022) के उपलक्ष्य में दिनांक 29 नवम्बर 2023 को “लोकतंत्र की आत्मा भारत का संविधान” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दोपहर 3 बजे से केन्द्रीय पुस्तकालय के गीतांजलि सभागार में किया गया । इस संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड द्वारा की गई, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सत्यनारायण जटिया, पूर्व कैबिनेट मंत्री, भारत सरकार तथा वक्ता के रूप में श्री भारत एस. सत्यार्थी, निदेशक, ग्लोबल कॉलेज ऑफ़ लॉ उपस्थित रहे I कार्यक्रम का समन्वय डॉ.अजीत कुमार, महानिदेशक, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा किया गया I सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, श्रीमती उर्मिला रौतेला द्वारा कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम का परिचय प्रस्तुत किया गया ।
अध्यक्ष महोदय द्वारा स्वागत भाषण का आरंभ मुख्य वक्ता श्री सत्यनारायण जटिया जी को आमंत्रित कर भारतीय संविधान की उद्देशिका के अनुसरण के साथ किया गया । अध्यक्ष महोदय ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य जनों का परिचय प्रदान कर सभी का कार्यक्रम में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब ने संविधान के निर्माण के समय ही यह बात कही थी कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना बना हो जब तक उसका अनुपालन करने वाले व्यक्ति सही नहीं होंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता है। उन्होंने देश के सबसे निचले तबके के उत्थान के साथ देश के उत्थान का आवाहन किया। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर जी द्वारा दिए गये संविधान निर्मात्री समिति की अंतिम बैठक के समापन भाषण की कुछ पंक्तियों को श्रोताओं के समक्ष रखा l भारतीय संविधान उसके संस्थापक डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण है। उन्होंने संविधान के आदर्शों के महत्व पर प्रकाश डाला तथा इसे वसुधैव कुटुम्बकम का वास्तविक आधार बताया ।
डॉ. सत्यनारायण जटिया ने श्रोताओं से संविधान की उद्देशिका के एक एक भाव को बारिकी से स्पष्ट किया और बताया कि किस प्रकार हमें संविधान के मूलभूत सिद्धांतों का अनुपालन करना होगा इसके साथ ही उन्होंने बाबा साहेव के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण अंशों को श्रोताओं के सम्मुख रखा l उन्होंने उद्देशिका के प्रथम वाक्य ‘हम भारत के लोग’ पर विस्तृत चर्चा की तथा इस वाक्य को विस्तार से परिभाषित किया ओर सभी से संविधान में निर्धारित दिशा निर्देशों का पालन करने को कहा l अंत में उन्होंने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करवाने हेतु प्रशंसा की l
वक्ता डॉ. प्रियंका सांकला ने कहा कि एक व्यक्ति अकेला कुछ नहीं कर सकता अतः हम सभी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए संविधान का पालन करना चाहिए।
सेवा भारती से सम्बद्ध श्री राकेश कुमार ने कहा कि जब तक सामाजिक समानता नहीं होगी तब तक राष्ट्र का विकास नहीं होगा। साथ मिलकर ही भारत का विकास संभव है। एक विकसित भारत हेतु प्रत्येक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है l
डॉ. भारत एस. सत्यार्थी ने अपने वक्तव्य में बताया की संविधान की आशाओं को हम अभी तक क्यों नहीं पूर्ण कर पाए ? इस पर अभी भी प्रश्न चिह्न है। शिक्षा का आभाव इसके पीछे मुख्य कारण है। जब हम विकास की बात करते है तो इसका अर्थ संपूर्ण सामाजिक उत्थान से है। यह तभी होगा जब संविधान को चलाने वाले इसकी भावना को समझेंगे, उसका महत्व समझेंगे। समाज में मानवता के प्रति संवेदना, अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकता तथा संविधान को जानने की जिज्ञासा होना बहुत आवश्यक है l एक देश की संसद उस देश के नागरिक बनाते है ओर यह संसद ही देश को विकसित करती है l संविधान एक उन्नत सोच है जिसे कोई नहीं बदल सकता l उन्होंने मानव के सम्मान को बनाये रखने पर बल दिया l
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ.अजीत कुमार, महानिदेशक, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा मुख्य वक्ता डॉ. सत्यनारायण जटिया, पूर्व कैबिनेट मंत्री, भारत सरकार तथा वक्ता श्री भारत एस. सत्यार्थी, निदेशक, ग्लोबल कॉलेज ऑफ़ लॉ, श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड एवं सभी श्रोताओं का कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया । राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया l