· डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
भाषा किसी बच्चे से लेकर समाज और राष्ट्र की बौद्धिक प्रगति का महत्त्वपूर्ण कारण है। भाषा की उपयोगिता न केवल संवाद की स्थापना में होती है बल्कि अपने मस्तिष्क से विकसित होने में भी भाषा का बड़ा योगदान है। भारत निरंतर विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और भारत की प्रतिनिधि और सर्व स्वीकार्य भाषा हिन्दी है। अंग्रेज़ी जानने-समझने वाले लोगों की जनसंख्या भारत में केवल 2 से 3 प्रतिशत है। और सच तो यह है कि बच्चों पर जिस तरह अंग्रेज़ी भाषा सीखने का दबाव बनाया जाता है, वह भी सही नहीं है क्योंकि भारत से तीन प्रतिशत से अधिक बच्चों को नौकरी भी विदेशों में मिलती है, बाकी 97 प्रतिशत बच्चे भारत में ही काम करते हैं। फिर माता-पिता अंग्रेज़ी के लिए बच्चों पर दबाव क्यों बनाते हैं? हर भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है, पर दबाव में नहीं। अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन सभी सिखाइये परन्तु हिन्दी सिखाने के बाद।
आज हमारा भारत विश्व का सबसे बड़ा बाज़ार है, ऐसे समय में भारत के बौद्धिक विकास में हिन्दी महत्त्वपूर्ण भाषा बनकर सामने आई है, उसे स्वीकार कीजिए। साथ ही, कुछ काम और भी कीजिए, जैसे अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करें, कामकाज में हिन्दी का प्रयोग करें। हिन्दी पुस्तकों को ख़रीद कर नियमित पढ़ें। फिर सामान्य से काम हैं, जैसे अपना नाम हर जगह हमेशा हिन्दी में लिखें। फेसबुक, व्हाट्सअप आदि पर हिन्दी में लिखें। अपने बच्चों को नियमित हिन्दी पढ़ने की आदत डालें। पुस्तकों का मित्र बनाइए या फिर हिन्दी समाचार पत्र नियमित पढ़ें। किसी को भी बधाई, शुभकामनाएँ या संदेश आदि हिन्दी में भेजें। ये छोटे-छोटे से काम हैं जो हिन्दी को तो मज़बूत करेंगे, साथ ही, आपको भी हिन्दी भाषी होने पर घमंड करवाएँगे। और हिन्दी दिवस पर लिए ये संकल्प आपके हिन्दी प्रेम को दृढ़ करेंगे।
हिन्दी किसी हीनता का परिचय नहीं देती, बल्कि आपके भाषाई बल को बढ़ावा देती है, हिन्दी का शब्दकोश सात लाख शब्दों का है, जो अन्य भाषा में दिखाई नहीं देता। विश्व की सबसे बड़ी भाषा हिन्दी है। किसी समय पर मैंडरिन (मंदारिन) भाषा का विश्व पर आधिपत्य था, जो चीन की आधिकारिक भाषा है। दुनिया की सबसे बड़ी भाषा के रूप में लोग मैंडरिन मानते थे, पर गर्व कीजिए कि अब हिन्दी विश्व की सबसे बड़ी भाषा है।
भाषा के विकास और विस्तार के लिए एक घंटा देह को, एक घंटा राष्ट्र को व एक घंटा हिन्दी को समर्पित करें। निश्चित तौर पर हिन्दी विश्व के सबसे बड़े बाज़ार भारत की भाषा है, उसे बाज़ार के आधार पर बढ़ावा दीजिए। आज भारत में काम करना है तो हिन्दी सीखना-समझना अनिवार्य है। विश्व की कई बड़ी कम्पनीयाँ जब भारत में व्यापार करती हैं तो अपने लोगों को हिन्दी में मज़बूत करती हैं। इसी दृष्टिकोण को अपनाकर भारत के लोगों को भी पहले अपनी भाषा हिन्दी में प्रवीणता रखनी चाहिए। इन्हीं छोटे-छोटे प्रबंधन से हिन्दी दिवस एक दिन का न होकर हर दिन मनाया जाएगा।