नोएडा। ट्रू मीडिया समूह और हँसता जीवन के संयुक्त तत्वावधान में 6 नवम्बर को साहित्य, सृजन और संस्कार का अद्भुत संगम उस समय देखने को मिला जब वरिष्ठ दोहाकार एवं साहित्यकार श्री रजिंदर महाजन कृत ‘कौन धुला है दूध का’ दोहा हज़ारा का लोकार्पण एक भव्य समारोह में संपन्न हुआ। इसी अवसर पर श्री रजिंदर महाजन और डॉ. सूक्ष्म लता महाजन की पचासवीं वैवाहिक वर्षगांठ (स्वर्ण जयंती) भी बड़े ही सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार, ट्रू मीडिया पत्रिका एवं साहित्यिक मंच के मुख्य निदेशक एवं संपादक डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नीरजा मेहता, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिष्ठित कवयित्री डॉ. कविता मल्होत्रा उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती लक्ष्मी अग्रवाल ने अपने प्रभावशाली शैली में किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ, जिससे पूरे वातावरण में भक्ति और साहित्यिक सौंदर्य की सुवास फैल गई।
इस अवसर पर अतुल्य महाजन, किरण महाजन, ऊषा महाजन, राकेश महाजन, रीता महाजन, सारंग महाजन, शिवाली महाजन, सुशांत महाजन, शिखा महाजन, ईशान महाजन, डी.के. शर्मा, विजय शर्मा, सीमा शर्मा, स्तुति मेहता और अशोक कुमार की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक उल्लासमय बना दिया। संयोजन की महत्वपूर्ण भूमिका डॉ. सूक्ष्म लता महाजन ने निभाई, जिन्होंने पूरे आयोजन को सुसंगठित और सौहार्दपूर्ण ढंग से संपन्न कराया। लोकार्पण के पश्चात उपस्थित सभी साहित्यकारों और अतिथियों ने ‘कौन धुला है दूध का’ दोहा हज़ारा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। वक्ताओं ने कहा कि यह कृति न केवल दोहाकार रजिंदर महाजन की लेखनी का प्रमाण है, बल्कि यह युवाओं के लिए प्रेरणादायक एवं सामाजिक सन्दर्भ ग्रंथ के रूप में महत्वपूर्ण योगदान देगी। अपने वक्तव्य में श्री रजिंदर महाजन ने कहा कि “यह संग्रह मेरे चिंतन, मंथन और जीवन के अनुभवों का सार है। मैंने समाज की वर्तमान स्थितियों को दोहे के माध्यम से आईना दिखाने का प्रयास किया है।” इस अवसर पर डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति ने महाजन दंपत्ति को पारंपरिक ओढ़नी ओढ़ाकर शुभकामनाएँ दीं। वहीं डॉ. नीरजा मेहता, स्तुति मेहता और डॉ. कविता मल्होत्रा ने भी उन्हें शॉल और उपहार देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का वातावरण स्नेह, साहित्य और संस्कार की गरिमा से ओत-प्रोत रहा। सभी आगंतुकों का पुष्पमालाओं, अंगवस्त्रों और पौधों के साथ हार्दिक स्वागत- सम्मान किया गया। अंत में किरण महाजन और अतुल्य महाजन ने सभी आगंतुकों, अतिथियों एवं सहयोगियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल एक पारिवारिक नहीं बल्कि साहित्य और संस्कारों का उत्सव रहा, जिसने सभी के हृदयों को जोड़ दिया। कार्यक्रम के समापन पर “कौन धुला है दूध का” दोहा हज़ारा की प्रतियाँ वितरित की गईं और उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने इस अनुपम आयोजन को लंबे समय तक याद रहने वाला बताया।
