बहुत कोशिशें कर ली लेकिन चली न कोई चाल।
दिल्ली का सिंघासन डोला गिरे केजरीवाल।1।
तिनका तिनका झाड़ू कर के मुस्काता है फूल।
नफ़रत के जितने भी बो लो खिलते नहीं बबूल।2।
महाकुंभ में जमकर उमड़ा भक्तों का सैलाब।
देख देख कर धुर विरोधियों की भी हवा ख़राब।3।
किरकिट में फिर शुरू हुआ है नया सुनहरा दौर।
अपना भारत बन बैठा है दुनिया का सिरमौर।4।
रोज़-रोज़ रैली कर-करके खर्चें लाख-करोड़।
सभी विपक्षी ढूँढ़ रहे हैं मोदी जी का तोड़।5।
बागेश्वर सरकार की महिमा में कितना है झोल।
चमत्कार से ही पलभर में खोल रहे जी पोल।6।
आम आदमी झेल रहा है महंगाई की मार।
पर विकास के नए आँकड़े कहे इसे सरकार।7।
चने बेचने वाले बन बैठे उपदेशक आज।
और बन्द करके आँखों को पूजे सकल समाज।8।
पढ़े-लिखे दर-दर भटके हैं अनपढ़ बने नवाब।
उलटे-सीधे प्रश्न पूछकर मांगें तुरत जवाब।9।
चल निकला है चलन निराला सेवा का पीआर।
समझ गया जो खेल तो समझो उसका बेड़ा पार।10।
मुरली बजैया, रास रचैया सबका हो कल्याण।
ध्यान में तेरे मस्त रहें सब खिले रहें मन-प्राण।11।
झूम-झूमके नाचो प्यारे, गाओ खुशी के गीत।
बाबा का बुल्डोजर भइया, गया सभी से जीत।12।
साइकिल, हाथी, हाथ ने छेड़े, बस नफ़रत के राग।
प्यार बढ़ाकर सबसे आगे कमल रहा है भाग।13।
भाषणबाज़ी, जुमलेबाज़ी, लफ्फाज़ी भी फेल।
इस चुनाव में चली है प्यारे, बस विकास की रेल।14।
गली, मुहल्ले, चौराहों पर खुलकर खेलो फाग।
राष्ट्रवाद के सपने लेकर देश रहा है जाग।15।
रास रचिया, कृष्ण मुरारी, करना ऐसा काम।
सूरज बनकर रोज़ उजाला, बांटें सुबह-ओ-शाम।16।
मुरली बजइया, रास रचिया, सबका हो कल्याण।
ध्यान में तेरे मस्त रहें सब खिले रहें मन-प्राण।17।
-चेतन आनंद