राजस्थान की शान, देश के गौरव और मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार गदिया एक विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व हैं। शिक्षा क्षेत्र में नवीन प्रयोगधर्मी, सामाजिक क्षेत्र में मिलनसार और हरदिल अजीज़, सनदी लेखाकार यानी चार्टर्ड एकउंटेंट के रूप में व्यवसाय को विकास के पंख देने वाले अग्रणी सलाहकार, लेखक के रूप में अत्यंत संवेदनशील, दूसरे के दुखों को अपना समझकर उसे दूर करने वाले जुझारू और संघर्षशील इंसान हैं। आप छात्र जीवन में अखिल भारतीय छात्र संघ और बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय सदस्य के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में महत्ती योगदान दे चुके हैं। आपने युवाओं को प्राचीन और अर्वाचीन शिक्षा प्रदान करने का जो मसौदा भारत सरकार को सौंपा, उसे शिक्षा मंत्रालय ने सहर्ष स्वीकार करते हुए गंभीरता बरती और नई शिक्षा नीति-2020 में इसे अमल में लाकर लागू किया। आपका मानना है कि आज के डिजीटल युग में युवाओं विशेषरूप से निर्धन एवं देश के वंचित समाज को रोजगारमूलक उच्च तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन गुरुकुलीय शिक्षा भी अनिवार्य रूप से प्रदान की जाए। इन युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। तभी हमारा भारत पुनः विश्वगुरु बन सकता है। इसके अलावा डॉ. गदिया से विस्तार से उनके जीवन, उनके आदर्शों और उनके सपनों के बारे में बातचीत की। प्रस्तुत हैं इसी विस्तृत बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश-
आपने कितने शिक्षण संस्थान स्थापित किये हैं और इनमें कितने विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं?
डा. गदिया-दर्जन भर शिक्षण संस्थान स्थापित किये हैं और ईश्वर कुपा से आज इन सबका कुशल संचालन कर रहा हूं। इनमें 11 हजार से अधिक छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें तीन चौथाई छात्र अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक समुदायों से आते हैं। जबकि 25 फीसदी छात्र सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों से हैं। हमारे शिक्षण संस्थानों में छात्रों को फीस, हॉस्टल, मेस, ड्रेस आदि की चिंता नहीं करनी होती। सारा इंतजाम सरकारी, गैरसरकारी संस्थानों के सहयोग और निजी योगदान से होता है। किताबी और प्रायोगिक ज्ञान के अलावा युवाओं का चरित्र निर्माण करना हमारी प्राथमिकता है। हमारे संस्थान से उत्तीर्ण विद्यार्थी रोजगार के लिए भटके नहीं, इसलिए हम स्वयं उनके नियोजन की व्यवस्था करते हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में आपकी क्या प्रमुख भूमिका है?
डॉ. गदिया-अनिल अशोक एंड एसोसियेट्स चाटर्ड एकाउंटेंट का संस्थापक और वरिष्ठ पार्टनर हूं। इसकी शाखाएं दिल्ली, मुंबई और हरिद्वार में हैं। कराधान के क्षेत्र में मुझे तकरीबन 38 वर्षों का अनुभव है। इस क्षेत्र में मेरी विशेषता को देखते हुए दिल्ली सरकार के विक्रय कर विभाग की राष्ट्रीय राजधानी सलाहकार समिति में मुझे सदस्य बनाया गया है। इसके तहत पिछले 20 वर्षों से कर अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का भागीरथ कार्य कर रहा हूं। वित्तीय मामलों का विशेषज्ञ होने के नाते वाणिज्य-व्यवसाय जगत की शीर्ष कंपनियों में मेरा विशेष सम्मान है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में भी मुझे बराबर का सम्मान मिलता है।
शिक्षा के अलावा अपने विद्यार्थियों को और क्या देना चाहते हैं?
डॉ. गदिया-मेरा मन है कि एक स्वर्णिम और व्यवस्थित भारत का निर्माण हो। जैसे मुझे बालपन से भारतीय संस्कृति और संस्कार मिले हैं मैं ऐसे ही सभी संस्कार अपनी आने वाली पीढ़ी को भी देने में विश्वास रखता हूं। शिष्टाचार, देशप्रेम, जनसेवा, प्राच्य विद्याओं के साथ आधुनिकतम तकनीक और विज्ञान का सामंजस्य, शिल्पकला, साहित्य आदि समावेश में मैं अपने विद्यार्थियों में विकसित करना चाहता हूं। अध्यात्म और भौतिकवाद के समन्वित मूल्यों से नई पीढ़ी को संस्कारित और जागरूक करना चाहता हूं। मेरा मानना है कि एक जागरूक युवा पीढ़ी ही सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र के उत्थान में योगदान दे सकती है। इसलिए मैं यदा-कदा उत्साही छात्रों का चयन करने के लिए स्वयं सुदूर इलाकों का दौरा करने निकल जाता हूं और अपने संस्थानों के लिए समुचित युवाशक्ति का चयन करता हूं। यही कारण है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में भारत के 29 राज्यों और भारत के बाहर के 20 देशों के बच्चे पढ़ने आते हैं।
आपके द्वारा स्थापित-संचालित शिक्षण संस्थान कौन-कौन से हैं?
डॉ गदिया- राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में मेवाड़ विश्वविधालय की स्थापना की जिसके वह कुलाधिपति हैं। उन्होंने एनसीआर के गाजियाबाद के वसुंधरा के सेक्टर-4सी में मेवाड़ इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की स्थापना की, जिसके वे अध्यक्ष हैं। इस इंटिट्यूट के पास में ही उन्होंने मेवाड़ लॉ इंस्टिट्यूट की स्थापना की और इसके भी अध्यक्ष बने। इसके बाद चित्तौड़गढ़ में मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज, मेवाड़ गर्ल्स औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र, मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग, गांधीनगर, मेवाड़ गर्ल्स आयुर्वेद नर्सिंग सेंटर, मेवाड़ गर्ल्स एलोपैथिक नर्सिंग सेंटर की स्थापना की और आज चित्तौड़गढ़ स्थित इन सभी संस्थानों का संयुक्त सचिव के रूप में संचालन कर रहे हैं। वे भारतीय शिक्षण मंडल मेरठ प्रांत के अध्यक्ष और नई दिल्ली स्थित एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष के रूप में योगदान दे रहे हैं।
लेखक के रूप में आपकी कितनी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं?
डॉ. गदिया-करीब डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिखी हैं। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद लेखन का सिलसिला जारी है। प्रकाशित पुस्तकों में ‘बस अब बहुत हो चुका (2015)’, ‘मेरी क्रांतिकारी योजना (2015)‘, सफलता के रहस्य (पहला संस्करण 2016-दूसरा संस्करण 2017), ‘वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप (2018)‘, ‘मेवाड़ मार्ग निर्देर्शिका (2019)‘, ‘भोर की रश्मियाँ (काव्य संग्रह) (2019)‘, ‘तनावरहित जीवन जीने का रहस्य (2021)‘, ‘मेरे अनुभव और इतिहास के झरोखे से कश्मीर (2022)‘, ‘दिल्ली मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम 2005 (वैट)‘, ‘ऐसे होगा हमारे नवभारत का निर्माण (2023)‘, ‘श्री गुरु गोविंद सिंह (2023)‘, ‘नया जमाना, नए उजाले (2024)‘, ‘सफलता के सोपान (2025)‘, ‘हमारी चारधाम यात्रा (2025)।’ इसके अलावा जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स-2020) का सहलेखन किया है। अनके शोध पत्र देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।
आपको अब तक कितने सम्मान प्राप्त हो चुके हैं?
डॉ. गदिया- छात्र जीवन से ही विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता रहा हूं। 1974 में भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति स्काउट्स अवार्ड से सम्मानित किया। 2008 में गाजियाबाद में सिविल सोसाइटी द्वारा नगर गौरव सम्मान, 2018 में सेंटर फॉर एजुकेशन ग्रोथ एंड रिसर्च, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा गौरव सम्मान, 2019 में उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल द्वारा दिव्य भारत सप्तंग भूषण सम्मान और 2020 में अखिल भारतीय प्रधान संगठन, अलीगढ़ द्वारा भारत गौरव सम्मान मिल चुका है। ऐसे और भी कई सम्मान हैं, जो मिले हैं।
प्रस्तुति-डॉ. चेतन आनंद (कवि एवं पत्रकार)