घर बड़े और दिल हो गये छोटे
रिश्ते उनमे समाए तो कैसे
बातें करते बड़ी मन हो गये छोटे
रिश्तों में मिठास समाए तो कैसे
घर बड़े और दिल हो गये छोटे
रिश्ते उनमे समाए तो कैसे
उम्र हो गई और दूर चले जाने लगे रिश्ते
झुर्रियों भरे चेहरों को पहचान पाओगे कैसे
घर बड़े और दिल हो गये छोटे
रिश्ते उनमे समाये तो कैसे
संदेश भरी बातों ने निकाल दी आस उम्र की
यादो की हिचकिया देखों मोड़ रही मुँह अब कैसे
घर बड़े और दिल हो गये छोटे
रिश्ते उनमे समाए तो कैसे
तकती रही राहें जिंदगी की कि साथ रहे
मौत दस्तक देने लगी पूछा की देर कहा लगी
घर बड़े और दिल हो गये छोटे
रिश्ते उनमे समाए तो कैसे
मेहमान अखरता अतिथि तुम कब जाओगे
रिश्तों की दुनिया को तुम
भला संभाल पाओगे कैसे
घर बड़े और दिल हो गये छोटे
रिश्ते उनमे समाए तो कैसे
संजय वर्मा "दृष्टि"
125 बलिदानी भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला -धार म प्र )