गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में श्री गुरुनानक देव जयंती और सिखों के नौंवें गुरु तेग बहादुर के बलिदान दिवस पर विद्यार्थियों ने शबद-कीर्तन, गुरुबाणी, एकल व समूह गीत, भजन गाकर श्री गुरुनानक देव का पुण्य स्मरण किया। इस मौके पर मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि श्री गुरु नानकदेव सिखों के ही नहीं पूरी दुनिया और समाज के गुरु हैं। उनके उपदेश और प्रसंग आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि श्री गुरुनानक देव का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब विदेशी आक्रांताओं का भारत में राज था। धर्म के ठेकेदारों का बोलबाला था और जाति अपने मूलमंत्र से दूर हो रही थी। ऐसे में श्री गुरुनानक देव ने प्रकाश के रूप में प्रकट होकर जगत में व्याप्त अंधियारा दूर करने का काम किया। गुरु नानक ऐसे पहले संत थे जिन्होंने जनता के बीच रहकर जनता की भाषा में अपनी बात कही। एक नई दिशा दी और ज्ञान दिया। अगर हम श्री गुरुनानक देव के पांच उपदेशों को मूलमंत्र मानकर धारण कर लें तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा। ये पांच मूलमंत्र हैं-भगवान ने हमें जो दिया है उसे मिल बांटकर खाना, ईमानदारी से कमाना-उसी को खाना, भगवान का नाम जपना, भगवान से सबकी खुशी मांगना और सदा सत्य बोलना। गुरु तेग बहादुर के बलिदान दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि संसार में श्री गुरु तेग बहादुर ही ऐसे हुए, जिन्होंने कुरआन व हिन्दू धर्म के अच्छे तत्वों को लेकर सामान्य जीवन पद्धति का निर्माण किया। मगर धर्म के ठेकेदारों ने इस पद्धति को कायम नहीं होने दिया। अगर यह जीवन पद्धति कायम हो जाती तो हिन्दू-मुस्लिम एक होते। इस मौके पर विद्यार्थियों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। समारोह में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल समेत मेवाड़ परिवार के सदस्य एवं विद्यार्थी मौजूद थे।