मेरा गांव ही कुछ ऐसा
जहाँ नीदं
मीठी होती
बौराये आमों तले
कोयल की कूक भी
मीठी होती।
पत्तों से झांकती
सूरज की किरणें
तपिश को ठंडा कर देती
खेत से पुकारती
आवाजें
सुबह की बयार को मीठा कर देती
जो चले गए उन्हें मेरा गांव पुकारता।
गौरी के
पनघट पे जाने से
पायल
कानों में मिठास घोल देती
बैलों की घंटियाँ
मीठी बातें करते
लगता हो जैसे
नदियां इन्ही मिठास से
इठलाती बहती
जो चले गए उनको मेरा गाँव है पुकारता
लोट आओ जरा तुम मेरे गाँव |
संजय वर्मा "दृष्टि "
मनावर जिला -धार (म प्र
मेरा गांव ही कुछ ऐसा
जहाँ नीदं
मीठी होती
बौराये आमों तले
कोयल की कूक भी
मीठी होती।
पत्तों से झांकती
सूरज की किरणें
तपिश को ठंडा कर देती
खेत से पुकारती
आवाजें
सुबह की बयार को मीठा कर देती
जो चले गए उन्हें मेरा गांव पुकारता।
गौरी के
पनघट पे जाने से
पायल
कानों में मिठास घोल देती
बैलों की घंटियाँ
मीठी बातें करते
लगता हो जैसे
नदियां इन्ही मिठास से
इठलाती बहती
जो चले गए उनको मेरा गाँव है पुकारता
लोट आओ जरा तुम मेरे गाँव |
संजय वर्मा "दृष्टि "
मनावर जिला -धार (म प्र