19 दिसंबर - 2025 को राजधानी दिल्ली के प्रबुद्ध नाट्य - प्रेमियों के विशेष अनुरोध पर आधुनिक हिंदी कविता के शीर्ष कवि रामधारी सिंह दिनकर की कालजयी कृति ‘‘रश्मिरथी’’ का हिंदी भवन के सभागार में नाट्य मंचन किया गया। इस प्रबंध काव्य की नाट्य प्रस्तुति सफल मंचन प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक श्री मुजीब खान के कुशल निर्देशन में हुआ।
हिंदी साहित्य में जाति व्यवस्था को लेकर अनेक चर्चित ग्रंथ लिखे गए हैं। राष्ट्र कवि दिनकर ने रश्मिरथी के माध्यम से जाति व्यवस्था के कारण समाज में उत्पन्न अनेक विसंगतियों और सामाजिक बुराइयों पर सवाल खड़े किए हैं।
रश्मिरथी के कर्ण की यह कथा भारतीय समाज की शोक कथा है। कर्ण का चरित्र सही मायने में पुण्यमय और प्रज्ज्वल है। कर्ण ने जितना पाया,उससे कहीं अधिक खोया, वह जितना जीता,उससे ज्यादा हारता गया, जितना ऊपर उठता गया,उतना उसे लोगों ने नीचे गिराया। उसकी मित्रता, दानवीरता, वचनबद्धता, आत्ममर्यादा, उदारता, वीरता और संवेदनशीलता आदि चारित्रिक गुण ही अभिशाप बनकर उसके जीवन के नासूर बन गए। भारतीय समाज की मनुजता को बचाए रखने का दूसरा नाम है कर्ण, इसलिए दिनकर ने कर्ण को मनुजता का नया नेता कहा है। रश्मिरथी में कर्ण की भूमिका निभाने वाले अक्षय कुमार ने भारतीय समाज के आमजन की विडंबना को अपने अद्भुत अभिनय कौशल से चरितार्थ कर दिया।
हिंदी भवन के खचाखच भरे सभागार में कर्ण का व्यक्तित्व श्रोताओं के मन पर एक ऐसी ज्योति का संचार कर गया,जिसे वर्षों भुलाना मुश्किल है। इसका भान इसी से लगाया जा सकता है कि नाटक खत्म होने के बाद कलाकारों के अभिनय कौशल से अभिभूत होकर श्रोताओं ने सभी के अभिनय का सम्मान खड़े होकर अपनी तालियों से
किया।
हिंदी भवन के न्यास मंडल के सदस्यों ने नाटक के निर्देशक,सभी कलाकारों, सूत्रधार, मेकअप मैन, संगीत और लाइट संयोजक को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
इस नाट्य प्रस्तुति के समय राजधानी दिल्ली के साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी तथा हिन्दी भवन परिवार के साथ-साथ नाट्य व हिन्दी प्रेमी भारी संख्या में उपस्थित थे।
