दिल्ली पुलिस में हुई वर्षा चोरी की शिकायत, हास्य व्यंग्य
-ओमप्रकाश प्रजापति
दिल्ली, अक्तूबर 2025, राजधानी में इस बार कुछ ऐसा हुआ कि मौसम विभाग तक हैरान है और दिल्ली पुलिस के रोजनामचे में एक नया इतिहास जुड़ गया। कनॉट प्लेस थाने में दर्ज हुई पहली ‘वर्षा चोरी’ की शिकायत ने पूरे शहर को हंसी और हैरानी दोनों में डाल दिया है। करोल बाग निवासी श्री बंसीलाल जी, जो खुद को “वर्षा प्रेमी” बताते हैं, थाने में पहुंचे और बोले, “साहब! इस बार हमारे इलाके में एक बूँद पानी नहीं गिरा। लेकिन टीवी पर देखा, पास के लाजपत नगर में लोगों ने नाव चलानी शुरू कर दी। ये साफ़-साफ़ वर्षा चोरी का मामला है!” ड्यूटी अफसर ने पहले तो समझा कि यह कोई मज़ाक है, मगर जब बंसीलाल जी ने पुराने बादलों की फोटो और मौसम विभाग की रिपोर्ट सबूत के तौर पर निकाली, तो मामला दर्ज कर लिया गया, एफआईआर नंबर: 420/RAIN/2025, दिल्ली पुलिस ने तुरंत ‘एंटी-क्लाउड थेफ्ट स्क्वाड’ गठित कर दी। इंस्पेक्टर छेदीलाल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि “कुछ शरारती हवाएँ, मानसून के बादलों को हरियाणा की सीमा से मोड़कर नोएडा की ओर ले गईं।” पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हवाओं को पकड़ने के लिए ड्रोन और पतंगों की मदद ली जा रही है। मौसम विभाग ने भी बयान जारी किया, “हम जांच में सहयोग देंगे, लेकिन बादल बहुत चालाक हैं, वो आईएमडी के रडार से भी बच निकलते हैं।” थाने में अफरा-तफरी का माहौल है। मूसलाधार जांच के लिए पुलिसकर्मी रेनकोट और छाता लेकर ड्यूटी पर हैं। पुलिस ने बादलों के स्केच जारी किए हैं, “गोल- मटोल, सफेद- धूसर रंग के, उत्तर दिशा से आते दिखे थे।” एक सिपाही ने दावा किया कि उसने “बादलों को शाम को इंडिया गेट की ओर भागते देखा था”, लेकिन CCTV में कुछ नहीं मिला क्योंकि कैमरा पर कोहरा जमा था। ट्विटर पर ट्रेंड चल पड़ा- #RainChorCaughtSoon लोग लिख रहे हैं, “पहले बाल्टी चोरी, अब बादल चोरी!” “दिल्ली में अब बारिश भी सरकारी परमिशन से होगी!” “अगली बार छाता भी रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा क्या?”
मजाक -मजाक में एक यूज़र ने दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए लिखा, “साहब, अगर बादल मिल जाएं तो थोड़ा पानी हमारे रूफटॉप गार्डन में भी बरसा देना।” तीन दिन की जांच के बाद, इंस्पेक्टर छेदीलाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- “बादल निर्दोष पाए गए हैं। असली दोषी तो दिल्ली का प्रदूषण और गर्मी हैं, जिन्होंने मिलकर बारिश को भगाया।” मामला अब “मौसम सुलह बोर्ड” को सौंप दिया गया है, जहाँ निर्णय होगा कि अगले साल वर्षा को दिल्ली में ‘जमानत’ पर बुलाया जाए या नहीं। दिल्ली में शिकायतें तो बहुत होती हैं- पानी की, बिजली की, ट्रैफिक की, पर जब “पानी न गिरने” पर भी शिकायत दर्ज होने लगे, तो समझ लीजिए कि व्यंग्य भी अब छाते की तरह जरूरी हो गया है। शायद अब वक्त आ गया है कि हम कहें, “हे बादल! जब भी आना, FIR की कॉपी साथ लाना!”
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