शूर्पणखा का विधवा होना और प्रतिशोध की शपथ तक सीता हरण की लीला का मंचन किया गया श्री रामलीला कमेटी, इंद्रप्रस्थ द्वारा आयोजित श्री रामलीला महोत्सव 2025 के सातवें दिन की प्रस्तुतियाँ दर्शकों को पौराणिक कथा की गहराइयों में ले गईं। आज मंच पर प्रभु श्रीराम के वनवास काल की महत्वपूर्ण घटनाओं का सजीव चित्रण किया गया, जिसे देखकर दर्शक भावविभोर हो उठे।
आज की लीला में विशेष आकर्षण का केंद्र दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता जी का आगमन रहा। मुख्यमंत्री ने लीला स्थल पर पहुँचकर भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की आरती की तथा मंचन का श्रद्धापूर्वक अवलोकन किया। उन्होंने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि रामलीला भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, में लीला कमेटी को बधाई दे दी हूँ की उन्होंने ज्ञान का सरोवर रामायण को चुना और बच्चो के लिये क्विज प्रतियोगिता करवाईं | जो नई पीढ़ियों को धर्म, सत्य और कर्तव्य का मार्ग दिखाती है। उनकी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा और अधिक बढ़ गई। नये प्रसंग के रूप में लीला की शुरुआत शूर्पणखा के सेनानायक विद्युतजिव्ह के साथ गंधर्व विवाह से हुई। इस प्रसंग के माध्यम से शूर्पणखा के अभिमान और कामना को दर्शाया गया। आगे रावण द्वारा विद्युतजिव्ह के वध और शूर्पणखा द्वारा अपने अपमान का प्रतिशोध लेने की शपथ ने कथा को और गहराई दी। पंचवटी का दृश्य प्रस्तुत हुआ, जहाँ भगवान श्रीराम और माता सीता का पक्षियों के साथ भावमय नृत्य मंचित किया गया। इस दृश्य में प्रकृति और मानवीय भावनाओं का सुंदर समन्वय दर्शाया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रभु राम, माता सीता व् भ्राता लक्ष्मण ने अपनी कुटिया के चारो और पीपल, बढ़, अशोक, अवाला व् तुलसी के पौधे लगाये तथा जनता को पर्यावरण सुरक्षा का सन्देश दिया | लीला में शूर्पणखा का आगमन हुआ, जो श्री राम, श्री लक्ष्मण से विवाह का प्रस्ताव लेकर आई । लेकिन जब लक्ष्मण ने उसका अपमान किया और उसकी नाक काटी, तो वह रोष में भरकर अपने भाई रावण के पास गई और सीता के सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए उसे अपहरण के लिए उकसाया।
रावण ने योजना के अनुसार मारीच को स्वर्णमृग बनाकर राम को वन में भेजा। जैसे ही राम मृग के पीछे गए, रावण ने साधु का वेष धारण कर सीता माता का हरण किया। इस हृदयविदारक दृश्य ने पूरे वातावरण को भावुक बना दिया। सीता हरण के पश्चात जब रावण अपने रथ से लंका की ओर जा रहा था तो मार्ग में पक्षिराज जटायु ने उसका मार्ग रोका और सीता की रक्षा हेतु रावण से युद्ध किया। इस वीरता पूर्ण युद्ध में जटायु वीरगति को प्राप्त हुए। उनका बलिदान दर्शकों की आँखों को नम कर गया।
श्री राम ने पिता तुल्य जटायु का दाह संस्कार कर समस्ता का सन्देश दिया | श्रीराम और लक्ष्मण द्वारा माता सीता की खोज में वन-वन भटकते दृश्य का मंचन हुआ। दोनों भाइयों का व्याकुल हृदय, सीता की स्मृति में विलाप और संकल्प ने पूरे वातावरण को भावुक कर दिया।आज की लीला न केवल भव्य मंच सज्जा और सजीव अभिनय से भरपूर थी, बल्कि इसमें जीवन मूल्यों, नारी सम्मान और धर्म-अधर्म के संघर्ष का भी गूढ़ संदेश छिपा था। हजारों की संख्या में उपस्थित दर्शकों ने हर दृश्य पर तालियों से अभिनेताओं का उत्साहवर्धन किया।
श्री रामलीला महोत्सव के आगामी दिनों में और भी महत्वपूर्ण प्रसंगों का मंचन किया जाएगा, जिनकी सभी श्रद्धालु उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। आज के लीला में दलीप बिंदल, मुकेश कौशिक, , योगेन्द्र बंसल, विकास बंसल, संजय गुप्ता (टटीरी), मनीष जैन, अमन चान्दना, सतेन्द्र अग्रवाल, रजत रस्तोगी विशेष रूप से उपस्थित रहे |
प्रेषक – सुरेश बिंदल
