जी हाँ , कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक महोत्सव एक उत्सव है, मिथिला वाशी का बंगलूरू में मिथिला महोत्सव मनाना किसी उत्सव से कम नहीं है ,एक सपना सा लगता था पहले मगर अब हकीकत हो गया है,आज बंगलूरू में एक साथ दस लाख का प्रतिधिनित्व कर्नाटक सांस्कृतिक महोत्सव के करता हुआ नजर आ रहा है।
इतने बड़े पैमाने पे और इतना बड़ा आयोजन साथ ही बंगलूरू जैसे शहर में करना आसान बात नहीं है और मिथिला के महान विभूतियों को बुलाकर करना उत्सव ही तो है। इस कार्यक्रम में दरभंगा गौरव संसद सदस्य आदरणीय गोपाल जी ठाकुर का आना बहुत ही भाग्य की बात है। इतने व्यस्त समय से समय निकालकर हम बिहारियों एवं मिथिला वासियों के लिए भाग्य की बात है,भाग्य की बात है।
राही राज़ बताते हैं कि उनके हाथों से सबों का सम्मान होना किसी राष्ट्रपति सम्मान से कम नहीं है । इस अवसर पर विद्यापति सम्मान से सांसद ने बंगलूरू शहर में रह रहे व्यक्तियों को सम्मानित किया । साथ ही सभी बंगलोर निवासी मिथिला बासी ने आदरणीय गोपाल जी ठाकुर को भी सम्मानित किए ।
इस अवसर पर राही राज़ और प्रीति राही जिनकी लोकप्रियता हर दिन बढ़ती जा रही है,पहले राही राज़ हिंदी कविता लिखते थे मगर अब मिथिला मैथिल को बढ़ावा देने के लिए और अपनी मातृभाषा का मान बढ़ाने के लिए मैथिली भाषा में भी कविता लिखना इन्हें अच्छा लगता है ,प्रीति राही भी अपनी मैथिली गीत के लिए चर्चित होती जा रहीं हैं। इन्हें हाल के वर्षों में गीतकार सम्मान दिल्ली में ,लीलावती सम्मान विशाखा पट्टनम में ,लता मंगेशकर सम्मान और शारदा सिन्हा सम्मान बनारस में मिल चुका है।
इस बार इन्हें विद्यापति सम्मान मिलने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहती हैं कि एक सपना था जो आज पूरा हुआ विद्यापति सम्मान के रूप में ।
राही राज़ ने आज मिथिला महोत्सव पर अपनी एक मैथिली कविता भी भेजा है ।
मिथिला के नारी ।
मिथिला के नारी , बड सुकुमारी,
तैयो बंगलोर ,में आबिके
मिथिला के डंका बजा रहल छैथ ,
समाजक सभ्यता संस्कृति देखा रहल छैथ।।
आठ मिथिला के महिला ,
मिथिला के गौरव बढ़ा रहल छैथ,
मिथिला के संस्कृति के जगा रहल छैथ,
कखनौ ,अरिपन पूरिहर बना रहल छैथ,
कखनौ झिझिया, नृत्य प्रस्तुत क रहल छैथ।।
नाम हिनकर सब हक या ,
प्रीति ,रंजना ,कविता , क्रान्ति,
माला ,दिव्या ,सीमा , चांदनी,
सखी बहिनपा समूह सं आबय रहल छैथ,
अपन मिथिला के परिचय द रहल छैथ।।
आबक युग में बंगलोर में ,
मिथिला धाम बना देलनि छैथ,
मिथिला महोत्सव मना रहल छैथ ,
मिथिला के नाम रोशन क रहल छैथ,
गीत नाद से हो गा रहल छैथ ।।
मिथिला के नारी , बड सुकुमारी,
तैयो बंगलोर ,में आबिके
मिथिला के डंका बजा रहल छैथ ,
समाजक सभ्यता संस्कृति देखा रहल छैथ।।
राही राज़,
बंगलूरू,
बहुत बहुत आभार आपका
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