-ओमप्रकाश प्रजापति
दीपावली भारत का सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्योहार है, जिसे हर वर्ष बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे एक धार्मिक पर्व के रूप में जाना जाता है, दीपावली का वैदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि इसके पीछे छिपी वैदिक परंपराएं और वैज्ञानिक तर्क भी गहरे अर्थ रखते हैं। दीपावली का वैदिक महत्व ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद में मिलता है। वैदिक साहित्य में इस त्योहार को आध्यात्मिक प्रकाश और ज्ञान के प्रतीक के रूप में माना गया है। "दीप" का अर्थ होता है प्रकाश और "अवली" का अर्थ होता है पंक्ति, जिससे दीपावली का अर्थ होता है दीपों की पंक्ति या श्रृंखला। इस दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव मनाया जाता है, जो जीवन में अज्ञानता पर ज्ञान और असत्य पर सत्य की विजय को दर्शाता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास से लौटने पर अयोध्या के लोगों ने नगर को दीपों से सजाकर उनका स्वागत किया। यह घटना दीपावली के मूल रूप को परिभाषित करती है। इसके अलावा महाभारत में पांडवों की 12 वर्षों के वनवास के बाद वापसी का भी दीपावली से संबंध जोड़ा जाता है। इस प्रकार यह पर्व सत्य और धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है। वैदिक अनुष्ठानों में भी दीप का महत्वपूर्ण स्थान है। यज्ञों और हवनों में अग्नि को देवताओं का प्रतीक माना जाता है और दीप जलाना अग्नि तत्व का सम्मान करने का एक रूप है। इस दिन विशेष पूजा- अर्चना और मंत्रोच्चारण से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना की जाती है, जिससे जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। दीपावली का वैज्ञानिक पक्ष भी अत्यंत रोचक और महत्वपूर्ण है। इस पर्व के दौरान की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का वैज्ञानिक महत्व है, जो मानव जीवन और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। दीपावली से पहले घरों की सफाई एक परंपरा है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह अत्यंत लाभकारी है क्योंकि यह सफाई न केवल मनोवैज्ञानिक शांति प्रदान करती है, बल्कि घरों में मौजूद धूल, कीटाणुओं और गंदगी से मुक्ति दिलाती है, जिससे रोगाणुओं का नाश होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अलावा, घरों में ताजगी और स्वच्छता का माहौल होता है, जो परिवार के सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। दीपावली पर तेल के दीप जलाने का चलन प्राचीन समय से चला आ रहा है। सरसों के तेल के दीप जलाने से निकला धुआं हवा में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं और बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है। यह प्राकृतिक रूप से वातावरण को शुद्ध करता है। इसके अलावा, दीयों की लौ घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे नकारात्मकता का नाश होता है और वातावरण में शांति और सौहार्द्र की अनुभूति होती है। दीपावली का समय मौसम के परिवर्तन का भी समय होता है। यह समय गर्मी के मौसम से ठंड के मौसम में जाने का होता है, जिससे हवा में विभिन्न बीमारियों और संक्रमणों का फैलाव हो सकता है। दीपावली पर जलाए जाने वाले दीपक और हवन में इस्तेमाल किए जाने वाले जड़ी-बूटियों का धुआं वातावरण को शुद्ध करता है और कीटाणुओं का नाश करता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होती हैं। दीपावली पर परिवार और मित्रों के साथ मिलना, उपहारों का आदान-प्रदान और खुशी मनाना सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। इस समय लोगों के बीच प्रेम और सद्भाव बढ़ता है, जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
दीपावली न केवल वैदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका आर्थिक पक्ष भी उल्लेखनीय है। इस समय लोग बड़ी मात्रा में वस्त्र, उपहार, मिठाइयाँ और सजावट सामग्री खरीदते हैं। यह त्योहार व्यापार और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाता है। इसके साथ ही लक्ष्मी पूजा के माध्यम से धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है, जो यह दर्शाता है कि दीपावली व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से समृद्धि का प्रतीक भी है। दीपावली एक ऐसा पर्व है, जो धार्मिक, वैदिक और वैज्ञानिक सभी दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। यह न केवल भगवान राम की अयोध्या वापसी और राक्षसों पर देवताओं की विजय के रूप में मनाया जाता है, बल्कि यह जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर जाने, अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ने और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर अग्रसर होने का प्रतीक है। इसके वैज्ञानिक महत्व के कारण यह पर्व स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए भी महत्वपूर्ण है। दीपावली के इस समग्र दृष्टिकोण को समझने से हम न केवल अपनी परंपराओं से जुड़ते हैं, बल्कि उनके पीछे छिपे गहरे तात्त्विक और वैज्ञानिक ज्ञान को भी पहचानते हैं।