बरनाला 21 अक्तूबर- सभी योनियों में से मानुष जन्म को सर्वोत्तम कहा गया है क्योंकि केवल इसी जन्म में ही इन्सान की आत्मा जो जन्मों-जन्मों से भटक रही थी ब्रहमज्ञान की प्राप्ति से परमात्मा की जानकारी हासिल कर सकती है। वास्तव में मानुष जन्म का उद्देश्य भी यही है क्योंकि इन्सान की आत्मा परमात्मा का अंश है और इसका मुख्य उद्देश्य परमात्मा की जानकारी प्राप्त करके परमात्मा के गुणो को हासिल करना है।
सत्गुरू माता सुदीक्षा जी ने जीवन में आने वाले सुख दुख की चर्चा करते हुए कहा कि संसार में रहते हुए सभी इन्सानों के जीवन में सुख दुख आते हैं किसी को तन का दुख, किसी को मानसिक चिन्ता का दुख और किसी को आर्थिक तंगी का दुख। जो परमात्मा से दूर होते हैं वो ऐसी घड़ी में परमात्मा को ही दोष देते हैं लेकिन परमात्मा को जानने वाले भक्त हमेशा शुक्राना भाव में रहते हैं ।
परमात्मा की जानकारी हो जाने के बाद इन्सान के जीवन में आने वाले बदलाव पर फरमाते हुए उन्होंने कहा कि ब्रहमज्ञान के बाद इन्सान के मन में अपने पराए या जात पात का भाव समाप्त हो जाता है, फिर किसी के प्रति दिलों में दूरियां नहीं रहती, हृदय विशाल हो जाता है और प्यार करूणा दया सहनशीलता आदि दिव्य गुण प्रवेश करने लग जाते हैं।
बरनाला ब्रांच के संयोजक जीवन गोयल ने बताया कि ये उद्गार चंडीगढ़ में सैक्टर 34 के विशाल मेला ग्राउण्ड में हुए निरंकारी सन्त समागम के अवसर पर सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।