"माया बनाम तनाव:~पुज्यता"
दिल्ली 6अगस्त:~मनुष्य को निंदा से नही बल्कि प्रशंसा से बचना चाहिए यह संदेश दिया गया स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर में सावन में आयोजित शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन कथा वाचक बृज रसिक पूज्यता किशोरी जी द्वारा कहे गए नारद मोह प्रसंग पर भक्तजनों को।
सावन के पावन अवसर पर शिवमहापुराण कथा के विभिन्न प्रसंगों के तत्वार्थ को प्रस्तुत करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने नारद मोह प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि "मनुष्य की बहुत बड़ी कमजोरी है कि वह अपनी प्रशंसा को बहुत चाव से सुनता है लेकिन निंदा सुनकर भोहें चढ़ने लगती हैं। स्वयं की निंदा बुरी और प्रशंसा में रुचि ही गर्त में गिराने का काम करतीं हैं।देवऋषि नारद जी की समाधि को कामदेव भी भंग करने में असमर्थ रहे लेकिन जो कार्य कामदेव न कर सके वह नारद की प्रशंसा ने कर दिया और नारद मोहग्रस्त हो गए जिससे उनकी भक्ति व्यर्थ हुई और नारद जी ने भगवान का भी विरोध किया।
कथा वाचक बृज किशोरी जी द्वारा शिवपुराण कथा प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि "यज्ञ दत नामक ब्राह्मण के पुत्र गुणनिधि थे।यज्ञदत्त जी ने अपनी संतान को वेद शास्त्रों का ज्ञान दिया लेकिन गुणनिधी कुसंग में फंस गया और मां उसकी गलती छुपाती रही जो उसके लिए नुकसान का कारण बना।मां को संतान का प्रथम गुरु माना गया है।संतान की अच्छाई और बुराई में मां का विशेष योगदान देखने को मिलता है।आप अगर अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं तो घ्यान रखें कि कभी भी संतान की गलतियों पर पर्दे डालकर उन्हें बुराइयों के लिए प्रोत्साहित नही करना चाहिए। ऐसी सोच आपकी और संतान दोनो के भविष्य का नाश करती हैं।संतान को वसीयत में कुछ अच्छा न भी दे पाएं लेकिन नसीहत अच्छी ही दें।
दूसरे दिन की कथा विश्राम के समय स्वामीजी द्वारा घोषणा की गई कि अगर आपकी नजर में कोई विवाह योग्य कन्याओं के परिजन हो तो दरबार में लाएं इस कथा के दौरान कन्या विवाह किया जाएगा।इसके पश्चात शिवपुराण एवम सदगुरु देव की आरती उतारी गई तत्पश्चात रितेश अरोड़ा द्वारा प्रसाद वितरण व्यवस्था कराई गई।
राम वोहरा