नई दिल्ली:"दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा श्रीकांत फ़िल्म की भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में विशेष स्क्रीनिंग"! दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने आज पीवीआर, चाणक्यपुरी, दिल्ली में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए श्रीकांत फ़िल्म की भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल)में विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया। इस अवसर पर दिल्ली-एनसीआर के बधिर समुदाय के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओएस) के बधिर बच्चे भी उपस्थित रहे। यह प्रयास मनोरंजन के क्षेत्र में सुलभता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा,"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा भारतीय सांकेतिक भाषा(आईएसएल) पर ज़ोर दिया है और इस दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इस साल मार्च में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा यह दिशा-निर्देश जारी किए गए कि भविष्य में बनने वाली फिल्मों में समावेशिता को प्राथमिकता दी जाए।"उन्होंने आगे कहा, "मनोरंजन की सुलभता सभी के लिए होनी चाहिए, चाहे वह श्रवण बाधित समुदाय हो या अन्य दिव्यांगजन। श्रीकांत फ़िल्म एक प्रेरणादायक कहानी है, और इस प्रकार की फ़िल्में समाज में एक सशक्त संदेश देती हैं।"
उन्होंने आईएसएल में श्रीकांत फ़िल्म की स्क्रीनिंग के आयोजन के लिए यूनिकी, टी-सीरीज और चॉक एंड चीज प्रोडक्शन को धन्यवाद दिया। राजेश अग्रवाल ने भारतीय फिल्म उद्योग के निर्माता-निर्देशकों को भी आमंत्रित किया कि वे इस प्रयास में शामिल हों और एक समावेशी समाज के निर्माण में सहयोग करें।फ़िल्म निर्देशक और यूनिकी का आभार,फ़िल्म के निर्देशक, तुषार हीरा ननंदानी ने इस विशेष स्क्रीनिंग पर कहा, "आज का दिन मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मैं श्रीकांत फ़िल्म को आईएसएल में प्रदर्शित करने का पूरा श्रेय भारत सरकार और विभाग को देता हूँ।"यूनिकी के मुख्य अधिकारी, चैतन्य, जिन्होंने फ़िल्म का आईएसएल में कन्वर्जन किया, ने सचिव राजेश अग्रवाल का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी।
बच्चों के लिए रहा खास अनुभव* पहली बार सांकेतिक भाषा में फिल्म देखते हुए, बच्चों और दिव्यांगजनों के चेहरे पर खुशी की झलक साफ़ दिखाई दी। यह अनुभव उनके लिए न सिर्फ एक मनोरंजन का स्रोत था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी था कि वे समाज के मुख्यधारा से जुड़े हैं। बच्चों ने इस अद्भुत पहल की सराहना करते हुए कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार भविष्य में भी हमारे लिए ऐसे दिव्यांग-फ्रेंडली वातावरण का निर्माण करती रहे, ताकि हम भी जीवन के हर रंग और आनंद का हिस्सा बन सकें।” समावेशिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम, फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, बधिर समुदाय से जुड़े बच्चे, और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। इस आयोजन ने श्रवण बाधित समुदाय के लिए मनोरंजन को सुलभ बनाने और समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक संदेश दिया है।