गुरुवार, 9 नवंबर 2023 को काईट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली, के संग मिलकर "राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का कार्यान्वयन: चुनौतियां और समाधान" शीर्षक पर एक-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित देश भर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और शिक्षकों ने भाग लिया। प्रतिभागी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की जटिलताओं का अध्ययन और बहस करने के लिए उत्सुक थे, जो शैक्षिक प्रणाली को बदलने और भविष्य के लिए तैयार भारत का मार्ग प्रशस्त करने का वादा करती है। इस कार्यक्रम में माननीय काईट प्रबंधन सदस्य श्री सरीश अग्रवाल जी, चेयरमैन, श्री सुनील पी. गुप्ता जी, जनरल सेक्रेटरी, श्री जी.डी. जैन जी, ट्रेजरर के साथ डॉ. अमिक गर्ग, निदेशक, डॉ. मनोज गोयल, संयुक्त निदेशक, डॉ. विभव कुमार सचान, डीन आर एंड डी, एवं डॉ. अनिल अहलावत, डीन एकेडमिक्स उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अमिक गर्ग के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने एनईपी 2020 और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यशाला की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली) के भाषण के साथ हुई। उन्होंने नौकरी-केंद्रित शिक्षा से ऐसी शिक्षा की ओर बदलाव की वकालत की जो 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और अनुकूलनशीलता पर जोर देती हो। उन्होंने एनईपी 2020 के कार्यान्वयन में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका के बारे में बात की।
प्रो. आर.पी. तिवारी, राष्ट्रीय परियोजना सलाहकार, MERITE, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, ने नीति के ढांचे पर अपने विस्तार से चर्चा की, जिससे विविध आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए समावेशिता और लचीलेपन को सुनिश्चित किया जा सके। दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफेसर मधुसूदन सिंह ने पारंपरिक 10+2 प्रणाली से अधिक व्यापक 5+3+3+4 क्रेडिट-आधारित प्रारूप की ओर बढ़ते हुए, एक संशोधित संरचना के माध्यम से शैक्षिक पहुंच और प्रतिधारण को बढ़ाने के एनईपी के लक्ष्य पर जोर दिया।
चर्चा तब और गहरी हो गई जब प्रोफेसर (डॉ.) नवीन शेठ, पूर्व (गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद के कुलपति) ने आधुनिक शैक्षणिक विषयों के साथ समृद्ध भारतीय ज्ञान प्रणाली को एकीकृत करने पर बात की। दयालबाग विश्वविद्यालय, आगरा से डॉ. पारुल भटनागर ने नैतिक शिक्षा और सामाजिक सरोकारों को हमारी शिक्षा प्रणाली में बुनने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, एआईसीटीई, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के मुख्य समन्वयक अधिकारी डॉ. बुद्ध चंद्रशेखर ने भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम को संबोधित किया, जिसका उद्देश्य स्थानीय माध्यमों और तकनीकी कौशल के बीच अंतर को पाटना है। इस कार्यशाला में विभिन्न गुणवत्ता वाले प्लेटफार्मों के लिए अनुकूल क्रेडिट प्रणाली एवं मानसिक कल्याण पर जोर दिया गया साथ ही साथ मुख्यधारा की शिक्षा में व्यावसायिक प्रशिक्षण को शामिल करने पर जोर दिया गया।
डॉ. विवेक कुमार ने अकादमिक पाठ्यक्रम को आकार देने, निरंतर कौशल विकास की वकालत करने और मोबाइल विकर्षणों से मुक्त केंद्रित शिक्षण वातावरण की आवश्यकता में उद्योग की अभिन्न भूमिका पर जोर दिया। डॉ. राजीव कुमार ने डिजिटल स्किल इंडिया पोर्टल के माध्यम से मुख्यधारा की शिक्षा का हिस्सा बनने के लिए कौशल-आधारित पाठ्यक्रम की क्षमता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे नीति की अभिनव रूपरेखा छात्रों में एक सर्वांगीण चरित्र को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो विधार्थियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को बनाए रखते हुए वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र की मांगों को पूरा करने के लिए सक्षम बनाती है।
कार्यक्रम का समापन श्री अतुल कोठारी जी संग सभी गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद देकर किया गया। इस कार्यशाला ने न केवल शैक्षिक नीतियों पर चर्चा की, बल्कि बदलते शैक्षिक परिदृश्य के अनुसार कार्य करने और अनुकूलन करने के लिए एक सामूहिक प्रतिबद्धता भी जगाई।