डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव आयोग ने राजनैतिक सूतक यानी आचार संहिता की घोषणा कर दी। नवम्बर माह में होना है मतदान और शाम ढलते ढलते ही भारतीय जनता पार्टी ने 57 उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी। अब तक भाजपा कुल 136 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। ऐसे माहौल में भी कांग्रेस के लीडरान अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं कर पा रही।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस उम्मीद लगा रही है कि जनता का मुड़ भाजपा के विरोध में है और इसके कारण कांग्रेस में शायद चुनावी हलचल नहीं हो पा रही हैं पर अब माहौल बदलता दिख रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली बहन योजना गेम चेंजर साबित होती नजर आ रही है।
टिकट न घोषित करने को कांग्रेस आलाकमान की सुस्त कार्यप्रणाली कहें या फिर मध्यप्रदेश की आपसी खींचतान, मामला जो भी हो पर जनता में कांग्रेस के प्रति नकारात्मक माहौल बना रहा है।
बीते दिनों मालवा निमाड़ की सीटों पर प्रभाव डालने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी की चुनावी सभा मोहनखेड़ा में हुई, उसमें उमंग सिंघार के बढ़ते कद को सभी ने देखा। धार जिले के कांग्रेसी विधायकों और आला नेताओं ने भी स्वीकार किया कि उमंग सिंघार पूरे चुनावी मॉड में है। उसी सभा में कमलनाथ का दिग्गी राजा के क्रम को भूल जाना और फिर नेताओं के तेवर भी आम लोगों ने भी देखे।
बहरहाल, बात इतनी सी है कि कांग्रेस एकजुट होकर चुनावी मैदान में क्यों नहीं है, जबकि विपक्ष के कंधों पर अधिक दारोमदार होता है। इस समय आचार संहिता लगने के बाद कांग्रेसी खेमें से उम्मीदवारों की घोषणा में चुप्पी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी कमज़ोर कर रहा है। जबकि भाजपा लगातार अपने उम्मीदवारों को मैदान संभालने भेजने में लगी हुई है। कई केन्द्रीय मंत्री और सांसदों के साथ राष्ट्रीय नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतार चुकी भाजपा किसी भी क़ीमत पर कोई कोताही बरतना ही नहीं चाहती जबकि कांग्रेस के हाल इस समय खामोश है। फ़िलहाल मध्यप्रदेश में 17 नवम्बर को, राजस्थान में 23 नवंबर, छत्तीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर, तेलंगाना में 30 नवंबर और मिजोरम में 7 नवंबर को मतदान होगा, मतगणना एवं परिणाम 3 दिसंबर को होगा। अब देखना यह है कि कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को कितना समय देती है मैदान में और उतने समय में वह क्या परिणाम देंगे। जनता तय करेगी भाजपा और कांग्रेस का भाग्य।
डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
लेखक एवं विचारक