गाजियाबाद। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि नये भारत का निर्माण हमारे हाथ में है। ऐसे में अपनी भूमिका में बहुत सावधानी की आवश्यकता है। इसलिए स्वयं को पहचानो। प्रभाष परम्परा न्यास और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की ओर से आयोजित विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने ये विचार व्यक्त किये। वह ‘धर्म, सनातन, भारत, हिन्दू-एक चतुर्भुजी विमर्श’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने वेदों, पुराणों, उपनिषदों और प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए अपनी बात को प्रमाणित किया और विषय की गहन व्याख्या की। उन्होंने अपने विषय पर बोलते हुए पहले श्रोताओं को गहरे सागर में उतारा फिर विचारों की लहरों पर झुलाते हुए सारांश के धरातलीय किनारे पर लेकर आये। उन्होंने विषय के सारांश में कहा कि हम मुस्लिम, ग्रीक, वंशावलियों, मिशनरी, प्राच्यवादी, मार्क्सवादी और कथित राष्ट्रवादी इतिहास में न घिरे रहें। हम इससे बाहर निकलें। किसी एक पर श्रद्धा या आस्था न रखें। विवेक के साथ भारत को देखें। इसी से हमें आत्मबोध और भारतबोध मिलेगा। हमें स्वयं को जानना है। शास्त्र, तत्व और दर्शन हमारे औजार हैं, जो हमें विचार और दृष्टि देते हैं। बताते हैं कि मैं क्या हूं। यही आत्मबोध हमारी पहचान है। भारतबोध और सनातन बोध कैसा है, इसे पहचानने की कोशिश करें। खुले दिल-दिमाग से स्वयं चलना सीखें। सनातन शाश्वत है, जो हमेशा रहेगा। इसे मिटाना मूर्खतापूर्ण है। ओछी राजनीति है। यह धर्म का अपरिवर्तनशील अंश है।
वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय ने विचार संगोष्ठी की अध्यक्षता की। उन्होंने भी तय विषय पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। राहुल देव को मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने शॉल एवं स्मृति चिह्न देकर सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर संदीप जोशी समेत मेवाड़ परिवार के सभी सदस्य एवं विद्यार्थी मौजूद थे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने किया।