'अंगूर तो मीठे थे' जी हाँ... प्रेम भारती लिखित, और दीपक गुरनानी निर्देशित नाटक को देख एल.टी.जी. ऑडोटोरियम में दिनांक 07.10.23 को थिएटर में आये सभी दर्शकों के मुहँ से यही निकला। हालांकि मंच के अंगूर तो दर्शकों तक नहीं पहुंचे परन्तु प्रस्तुति की मिठास को सभी ने महसूस किया।
नाटक का पात्र 'रूप' जो कि रसिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है। मोहल्ले की महिलाओं पर लट्टू रहना, उसका प्रिय शग़ल है। खासकर अपने पड़ोसी मुरारी की पत्नी नीलम पर उसकी खास नज़र है। उसकी यह मुराद एक दिन पूरी भी हो जाती है, जब उसकी पत्नी के मायके जाने पर मुरारी की पत्नी नीलम अपने पति को दूध में नींद की गोलियां खिलाने की कोशिश में गलती से वही दूध पी कर रूप के घर उसकी ख्वाईश पूरी आ पहुंचती है। नींद की गोलियां खा कर रूप के घर पहुंची नीलम उसके साथ प्रेम की पींगे तो नहीं बढ़ा पाती, उल्टा उंसके घर आ कर सो और जाती है।
फिर शुरू होता है.... रूप के घर लोगों आना। जैसा कि अक्सर होता भी है। रूप समस्या को सुलझाने के चक्कर में और उलझता जाता है। जो दर्शकों को गुदगुदा देता है। सभी पात्रों का अभिनय नाटक को दर्शकों से बांधे रखने में कामयाब रहा। कई पंच तो इतने फन्नी थे कि लोगों का हंसी रोक पाना संभव ही नहीं था।
हालाँकि कलाकारों को अपने अभिनय को कसने की आवश्यकता तो कई स्थानों पर दिखाई दी, परन्तु फिर भी एक कामयाब प्रस्तुति कही जा सकती है।
नाटक ने हल्के-फुल्के अंदाज में दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
एक बार पुनः 'अंगूर तो मीठे थे' की पूरी टीम को उनके मनोरंजक प्रदर्शन के लिए बधाई।
प्रताप सिंह